कोरोना के Lambda वरिएंट की पहचान सबसे पहले August 2020 में पेरू में हुई थी. इसके बाद से अब तक 29 देशों में इसकी पहचान की जा चुकी है. WHO की मानें तो लैम्ब्डा वैरिएंट म्यूटेशन के बाद तेजी से फैल रहा है. WHO ने फिलहाल इस वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में लेबल किया है.
आइए समझते हैं कि वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट क्या है?
वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट का मतलब है कि यह लोगों और रीसर्चर्स के इंटरेस्ट की बात है. इसने अखबारों या चैनलों में काफी सुर्खियां भी बटोरी. इसके बाद होता है वेरिएंट ऑफ कंसर्न मतलब ये वेरिएंट तेज गति से फैलने और बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है.
अमेरिका में वायरस के मौजूदा वेरिएंट बी.1.1.7 (एल्फा), बी.1.351 (बीटा), पी.1 (गामा), बी.1.427 (एप्सिलॉन) और बी.1.617.2 (डेल्टा) को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' के रूप में classify किया गया है.
इतने वैरिएंट क्यों आ रहे सामने ?
नोवेल कोरोनावायरस सबसे घातक महामारियों में से एक है. वायरस में mutate करने यानि खुद को बदलने और इंसान के immunity cells पर हमला करने की कैपेसिटी है. इसके म्यूटेट करने की रफ्तार human cells से कहीं ज्यादा है. कोई भी एरर दिखने पर ये वायरस उस सीक्वेंस को खुद रिपेयर कर सकता है.