मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को मुल्ला बरादर भी कहा जाता है. बरादर मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक है..बरादर उन चार लोगों में से एक है जिन्होंने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन को शुरू किया था और तालिबान को बनाया था. साल 2001 में जब अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से हटा दिया था तब वो नाटो सैन्य बलों के ख़िलाफ़ विद्रोह का प्रमुख बन गया था. बरादर को फरवरी 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान के एक संयुक्त अभियान में कराची शहर से गिरफ़्तार कर लिया गया था. वो पाकिस्तान की जेल में भी रहा और उसने वहां से तालिबान को मजबूत करने का बेस तैयार किया. उसके बाद सितंबर 2013 में पाकिस्तानी सरकार ने उसे रिहा कर दिया. बरादर तालिबान के पहले नेता मुल्ला मोहम्मद उमर का सबसे भरोसेमंद सिपाही और डिप्टी था. जब वो गिरफ़्तार हुआ तब वो तालिबान का दूसरा सबसे बड़ा नेता था. ऐसा कहा जाता है कि बरादर उन मेन आतंकियों में से एक है जो अमेरिका और अफगान सरकार के साथ बातचीत चाहता है और उसको सपोर्ट करता है. बरादर तालिबान के शांति वार्ता दल का नेता है, जो कतर की राजधानी दोहा में एक राजनीतिक समझौते की कोशिश करने का दिखावा कर रहा है...
मुल्ला बरादर तालिबान की हर गतिविधि पर नजर रखते हुए उसके सैन्य अभियानों को लीड करता है. बरादर तालिबान के लिए फंड जुटाता है और सैन्य कमांडरों को नियुक्त करता है.. वो युद्ध की Strategy तैयार करता है.. बरादर गुरिल्ला युद्ध का मास्टर माना जाता है. अमेरिका की ताकतवर सेना से निपटने के लिए उसने गुरिल्ला युद्ध पर जोर दिया. उसने अफगानिस्तान में सड़क किनारे आईईडी बम बिछाने का प्लान बनाया और उसका ये प्लान successfull हुआ. अमेरिका को बड़े पैमाने पर अपने जवानों को खोना पड़ा.. जिसके बाद अमेरिका को तालिबान के साथ डील करने के लिए मजबूर होना पड़ा.