रवि दहिया का जन्म 1997 में हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था.. परिवार की माली हालात अच्छी नहीं थी, ऐसे में रेसलर बनने का सपना देखना भी बेमानी सा था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उनके पास खुद की जमीन या खेती नहीं थी. वो किराए की जमीन पर खेती किया करते थे. रवि का बचपन से ही झुकाव कुश्ती की तरफ था. 8 साल की उम्र से ही रवि ने कुश्ती की दुनिया में कदम रख दिया था और वो अखाड़े में अपने विरोधियों को पटखनी देना भी शुरू कर चुके थे.. गांव के ही अखाड़े में उन्होंने शुरूआती दांव-पेंच सीखे. महज दस साल की उम्र में ही रवि को छत्रसाल स्टेडियम भेजा गया..जहां उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से ट्रेनिंग ली.
रवि के सपने को हकीकत बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है. उनके सामने बेहद आर्थिक तंगी थी इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कमी नहीं रखी. उनके पिता राकेश हर रोज 40 किलोमीटर की दूरी तय कर उन्हें दूध और फल पहुंचाया करते थे. रवि ने 2019 में जब वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता तभी उनके पिता उनके इस मैच को नहीं देख सके थे, क्योंकि वो उस वक्त भी अपना काम कर रहे थे.. ताकि वो रवि का सपना पूरा कर पायें.
रवि कुमार दहिया ने 22 साल की उम्र में अपना डेब्यू किया था...उन्होंने अपना पहला मैच वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेला था और उस मैच में रवि कुमार दहिया ने ईरान के खिलाड़ी और एशियन चैंपियन रीज़ा अत्रीनाघारची को हराया था.. इस मैच में उन्होंने ब्रौंज मैडल हासिल किया था.... और बस इसी के बाद से रवि का पहलवानी में सुनहरा भविष्य दिखने लगा था....लगने लगा था कि वो आगे चलकर ओलिंपिक तक जरूर पहुंच सकते हैं.. इसके बाद साल 2015 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में रवि कुमार ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और सिल्वर मेडल अपने नाम किया.