कौन थीं गंगूबाई?
गंगूबाई गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली थीं इसलिए उन्हें गंगूबाई काठियावाड़ी कहा जाता था. गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था. बचपन में गंगूबाई ने भी सभी की तरह सपने देखे, वो मुम्बई जाकर एक्ट्रेस बनना चाहती थीं. लेकिन 15-16 की मासूम उम्र में गंगूबाई को अपने पिता के अकाउंटेंट रमणीक लाल से प्यार हो गया था. गंगू का परिवार इसके खिलाफ था इसलिए गंगुबाई ने रमणीक लाल के साथ घर से भागने का फैसला किया. पर ये सब इतना आसान भी नहीं था..
पति ने कुछ पैसों के लिए गंगूबाई को बेच दिया
गंगूबाई रमणीक के साथ भागकर मुंबई आ गईं और उससे शादी कर ली, लेकिन पार और शादी में उन्हें धोखा मिला. रमणीक लाल ने सिर्फ 500 रुपए के लिए गंगा को कोठे पर बेच दिया..और यहीं से शुरू हुआ गंगा हरजीवनदास के गंगूबाई काठियावाड़ी बनने का सफ़र..
करीम लाला को बांधी राखी
पति के कोठे में बेचने के बाद गंगूबाई को छोटी उम्र में ही वेश्यावृति के लिए मजबूर किया गया. उस वक़्त मुंबई में डॉन करीम लाला का राज चलता था. उसकी गैंग के गुंडे कोठे पर आया जाया करते थे. करीम लाला के गैंग के ही एक गुंडे ने गंगूबाई का रेप किया..जिसके बाद वो इसकी शिकायत लेकर करीम लाला के पास जा पहुंची और बिना डरे पूरी बात करीम लाला को बता दी.. करीम लाला ने उसे न्याय का भरोसा दिया. गंगूबाई के साथ पहली बार ऐसा हो रहा था कि जब किसी बाहरी मर्द ने उसकी मदद की बात कही हो इसलिए गंगू ने करीम लाला को राखी बांधी और कहा कि आज से आप मेरे राखी भाई हो... फिर क्या था इस घटना के बाद गंगूबाई का कद बढ़ गया और वो कमाठीपुरा की कोठेवाली गंगूबाई बन गई..कुछ ही समय में कमाठीपुरा में गंगू का सिक्का चलने लगा..