भारत के गेहूं की आज कल हर ओर चर्चा हो रही है. भारत का गेहूं अखबारों की मुख्य खबर के साथ वैश्विक पटल पर भी लगातार सुर्खियों में बना हुआ है..
दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में बीते कुछ महीनों से भारतीय गेहूं (Indian Wheat) चर्चा में बना हुआ है. जिसके तहत युद्ध की वजह से दुनिया के कई देशों में उपजे खाद्यान्न संकट से निपटने में भारतीय गेहूं की भूमिका ने उसे चर्चा में लाकर खड़ा कर दिया है, लेकिन मई महीने के आखिरी दिनों के बाद से भारतीय गेहूं इससे दूसरी वजहों के कारण सुर्खियाें में बना है. असल में मई महीने के आखिरी दिनों में तुर्की (Turkey) ने भारतीय गेहूं की खेप को ठुकरा दिया था उसने कहा था भारत के गेहूं में रूबेला वायरस है.. वहीं अब खबर है कि तुर्की यूक्रेन और रूस के साथ एक समझौता करने जा रहा है. इस समझौते के तहत तुर्की ने यूक्रेन के गेहूं पर 25 फीसदी छूट की मांग की है.. तो आज एक know this वीडियो में हम आपको तुर्की की इस बड़ी डील से जुडी हर जरूरी जानकारी देंगे बस आप वीडियो के काहिर तक बने रहिए हमारे साथ..
बता दें कि तुर्की के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि तुर्की, यूक्रेन और रूस के बीच एक समझौता होना है, जिसके तहत तुर्की ने यूक्रेन के गेहूं पर 25 फीसदी छूट की मांग है.. गेहूं की इस खेप को यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से इस्तांबुल पहुंचाया जाएगा.
तुर्की के कृषि मंत्री वाहित किरीस्की ने पत्रकारों को बताया कि अगर ये समझौता होता है तो यूक्रेन हमें गेहूं पर 25 फीसदी छूट देने को सहमत हो जाएगा।।
किरीस्की ने इससे पहले बताया था कि यूक्रेन अपने बंदरगाहों की घेराबंदी को लेकर चिंतित है. रूस ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है, जिससे उसका अनाज फंसा हुआ है.तुर्की की सेना ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर नौसैनिक नाकेबंदी को हटाने में मदद करने और ओडेसा बंदरगाह से अनाज की खेपों की सुरक्षा का प्रस्ताव दिया है.
बता दें कि गेहूं की वैश्विक सियासत का ये सिलसिला रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद ही शुरू हो गया. रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है, तो वहीं रूस और यूक्रेन दोनों मिलकर दुनिया का 25% गेहूं निर्यात करते हैं, लेकिन आर्थिक प्रतिबंधों और युद्ध के चलते दुनिया में गेहूं की आपूर्ति बाधित हुई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें 40% तक बढ़ गईं. इससे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के करोड़ों लोगों के लिए खाद्य संकट पैदा हो गया. वहीं इस बीच दुनिया की नजर टिकी भारतीय गेहूं पर, क्योंकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है.
वहीं 29 मई को तुर्की की तरफ से भारतीय गेहूं की 55 हजार टन खेप को लौटा दिया गया था. उस दौरान आरोप लगाया गया था कि गेहूं की इस खेप में रूबेला वायरस पाया गया है, वहीं गेहूंं की इस खेप में प्रोटीन की मात्रा भी कम होने की बात कही गई थी. यह मामला काफी विवादों में रहा था. बाद में भारत के गेहूं की इस खेप को मिस्र भेजने की रिपोर्ट सामने आई थी. बाद में भारत के खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा था कि गेहूं की इस खेप को भारत से रवाना करने से पहले क्वारंटीन और अन्य जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया गया था. उन्होंने गेहूं में रुबेला होने की संभावना को भी खारिज किया था. गेहूं की यह खेप भारतीय कंपनी आईटीसी लिमिटेड की थी.