आज का किस्सा सुनील दत्त की उस फिल्म का है जिसका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है..फिल्म है साल 1964 में आई यादें..इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर सुनील दत्त ही हैं..इस पूरी फिल्म में आपको कोई दूसरा कलाकार पर्दे पर दिखाई नहीं देगा...अब आपने अगर ये फिल्म नहीं देखी है तो आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कैसे हो सकता है...लेकिन 60 के दशक में सुनील दत्त के इस शानदार एक्सपेरिमेंट को दुनियाभर में सराहा गया..फिल्म की कहानी सुनील दत्त ने अपनी पत्नी नरगिस दत्त के साथ लिखी थी..ये पूरी फिल्म सुनील दत्त के बेजोड़ अभिनय को दिखाती है. फिल्म में नरगिस का केवल तस्वीर और ब्लैक शैडो के तौर पर इस्तेमाल किया गया. नरगिस की तस्वीर के सहारे ही सुनील दत्त ने पूरी फिल्म को जी लिया...इस फिल्म की कहानी बहुत दिलचस्प है जो आपको हिलने नहीं देती, बांधे रखती है..
ये एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म है..जिसकी शुरुआत होती है- तेज तूफान, बारिश और एक घर में बजने वाली फोन की घंटी से. घर में बिल्कुल सन्नाटा पसरा है. तभी एंट्री होती है अनिल यानि कि सुनील दत्त की... फिल्म में कैरेक्टर के नाम हैं, लेकिन जीवित कैरेक्टर कोई नहीं दिखाई देता. अनिल पूरा घर छान मारता है, लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं पड़ता. वो सभी का नाम लेकर पुकारता है, लेकिन कोई जवाब नहीं देता...तभी फोन की घंटी एक बार फिर बजती है. उधर से आवाज आती है कुलदीप की. अनिल का दोस्त कुलदीप. दोस्त शादी का न्योता देता है. वादा लेता है कि अनिल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उसकी शादी में आए.