70 का दशक बीत रहा था. रेखा को मद्रास से बंबई आए अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था..लेकिन कम वक्त में ही उन्हें राजा नवाथे की दो शिकारी ऑफर हो गई थी.फिल्म के निर्माता कुलजीत पाल और अभिनेता विश्वजीत को हर हाल में एक कामयाब फिल्म की ज़रूरत थी..बंबई के महबूब स्टूडियो में दो शिकारी की शूटिंग शुरू हो गई थी..राजा नवाथे फिल्म के डायरेक्टर और सिनेमेटोग्राफर थे.अभी फिल्म की शूटिंग को कुछ ही दिन बीते थे कि फिल्म के निर्माता कुलजीत, डायरेक्टर राजा नवाथे और एक्टर विश्वजीत ने एक प्लान बनाया.इस प्लान में उनका शिकार बनने वाली थीं रेखा.
उस दिन रेखा और विश्वजीत के बीच एक रोमांटिक सीन फिल्माया जाना था.कैमरा शूटिंग के हर एक पल को कैद करने के लिए तैयार था.जैसे ही डायरेक्टर ने एक्शन कहा एक्टर विश्वजीत ने रेखा को अपनी बाहों में लिया और किस करने लगे.अचानक हुए इस सीन से रेखा हैरान हो गईं, इसकी कोई चर्चा स्क्रिप्ट में नहीं की गई थी..न डायरेक्टर ने कट बोला और न विश्वजीत रुके.ये सीन तकरीबन 5 मिनट तक हुआ.इस बीच यूनिट के लोगों ने तालियां और सीटियां बजानी शुरू कर दीं.वो सीटियां काफी समय तक रेखा के कानों में गूंजती रहीं.रेखा की आंखें बंद थीं और उसमें आंसू भरे हुए थे.