नीना गुप्ता की ‘सच कहूं तो’ 90 के दशक में उनकी प्रेगनेंसी के उस दौर को सामने लाती है जब एक बिन ब्याही लड़की समाज के सभी नियमों को तोड़ते हुए अपनी संतान को जन्म देने का बड़ा फैसला लेती है....उन दिनों सिंगल मदर की परिभाषा आज जैसी सरल नहीं थी, ये बात नीना समझ रही थीं कि वो जिस परिवार से ताल्लुक रखती हैं, वहां ऐसा फैसला लेने का मतलब है कि अब ये पूरा सफर उन्हें अकेले तय करना है..नीना गुप्ता अपनी किताब ‘सच कहूं तो’ में लिखती हैं कि जब वो प्रेगनेंट थीं तो एक बार सतीश कौशिक ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज़ किया था..कौशिक नीना के बच्चे को भी अपनाने और अपना नाम देने के लिए तैयार थे...
नीना गुप्ता की किताब के इस हिस्से पर सतीश कौशिक ने भी मीडिया में चुप्पी तोड़ी है, एक मीडिया इंटरव्यू में सतीश कौशक ने कहा कि नीना को शादी का प्रपोज़ एक दोस्त होने के नाते दिया था..सतीश ने आगे ये भी कहा कि मैं ये नहीं चाहता था कि नीना बाद में अकेला महसूस करें..हालांकि नीना गुप्ता को जब सतीश कौशक ने शादी का प्रस्ताव दिया तो वो रोने लगीं..सतीश कौशिक ने ये भी कहा कि मैं इस बात का काफी मान करता हूं कि उस वक्त भी एक लड़की ने बिना शादी के एक बच्चे को जन्म देने का फैसला किया था.. एक सच्चा दोस्त होने के नाते मैं उनके साथ खड़ा रहा था और उन्हें साहस देने की कोशिश कर रहा था..इस किताब में आप जो भी पढ़ रहे हैं वो एक सच्चे दोस्त का निभाया गया कर्तव्य था..आखिर दोस्त इन्हीं चीजों के लिए होते हैं