साल 1946 में देवानंद की पहली फिल्म आई – हम एक हैं ..हालांकि फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई मगर इस फिल्म ने देवानंद को बी-टाउन का ऐसा चमकता सितारा बना दिया कि लड़कियां देवानंद की हर अदा पर मर मिटने को बेताब होने लगीं...काला रंग देवानंद पर हमेशा से फबता था, लंबी छरहरी पतली काया में देवानंद जब सफेद शर्ट के साथ काला कोट पहन कर निकलते तो फैंस मर मिटते..लड़कियां दीवानी हो जाती थीं..कहते हैं कुछ लड़कियां तो देवानंद को देखकर छत से छलांग तक लगाने को तैयार हो जाती थीं.. चौंकिए मत, ये बात 16 आने सच है..
किस्सा साल 1958 का है जब देवानंद की फिल्म काला पानी रिलीज़ हुई थी..फिल्म ने आते ही टिकट खिड़की पर धूम मचा दी थी..जबरदस्त हिट साबित हुई..फिल्म में देवानंद काले कोट में कहर ढा गए थे..उन्हीं दिनों ये सफेद शर्ट के साथ काले कोट का ट्रेंड चल पड़ा लेकिन देवानंद को लेकर लड़कियों की दीवानगी बढ़ती गई.. ख़बरें आने लगीं कि देवानंद जिस रास्ते से गुजरते हैं उनकी एक झलक पाने के लिए लड़कियां अपने घर की छत से कूद पड़ती हैं, इस तरह की कई ख़बरें उन दिनों अख़बारों की सुर्खियां बन गई थीं...और फिर इस तरह की बढ़ती ख़बरों के बीच मामला अदालत पहुंचा और आदेश हुआ कि देवानंद अब से काला कोट पहनकर नहीं निकलेंगे..आज़ाद हिन्दुस्तान में ये पहली बार था जब किसी पर पहनावे को लेकर कोई पाबंदी लगी थी...देवानंद ने इसके बाद पब्लिक प्लेस में कभी काला कोट नहीं पहना..