ये कहानी रेखा की मां पुष्पावल्ली और उनके बॉयलॉजिकल फादर जेमिनी गणेशन की है..चेन्नई के माउंट रोड पर जो प्रीमियर होटल द पार्क आज आप देखते हैं किसी ज़माने में इसी जगह पर मशहूर जेमिनी स्टूडियो हुआ करता था..वो साल 1947 का दौर था..उन दिनो जेमिनी स्टूडियो के मालिक एसएस वासन और दक्षिण भारत की मशहूर हीरोइन पुष्पावल्ली के अफेयर के किस्से सुर्खियों में रहते थे....तब पुष्पावल्ली की उम्र तीस के करीब रही होगी, शादी नहीं की थी लेकिन पिछले रिश्ते से दो बच्चे थे ..एक बेटा जिसे प्यार से सब बाबूजी कहते थे और एक बेटी रमा..
पुष्पावल्ली के बारे में कहा जाता था कि वो बहुत कुछ चाहने वाली महिला थीं, बहुत महत्वकांक्षी..पुष्पावल्ली को अपने करियर और रिश्ते दोनों में एक दर्जे की तलाश थी..जेमिनी स्टूडियो के मालिक वासन पहले से शादीशुदा थे..वो पुष्पावल्ली को हर चीज़ देने को तैयार थे सिवाय अपने नाम के...जबकि पुष्पावल्ली वासन से शादी करना चाहती थीं...और इसी कशमकश में दिन बीत रहे थे...
उन्हीं दिनों मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में केमेस्ट्री पढ़ाने वाले एक लेक्चरर का दिल अब बीकर और परखनली की कैद से बाहर निकल रहा था...वो जवान लेक्चरर जिंदगी में कुछ क्रिएटिव करना चाहता था..और इसी चाहत ने उससे कॉलेज की शानदार नौकरी छुड़वा कर जेमिनी स्टूडियो के प्रोडक्शन एक्जीक्यूटिव के मामूली से पद पर ला खड़ा किया...जुनून ने चाल चल दी थी और किस्मत का खेल अभी बाकी था.