हिन्दुस्तान में अंग्रेज़ों से पहले और अंग्रेज़ों के बाद भी बीहड़ों में डाकुओं की ही हुकूमत रही..ये सिलसिला करीब 90 के दशक तक चला..और फिर ग्लोबलाइजेशन के बाद धीरे-धीरे बीहड़ों में डाकुओं की पकड़ कमज़ोर होने लगी..लेकिन आप 90 से पीछे चलिए...60 के दशक में, उन दिनों कमाल अमरोही पाकीज़ा बना रहे थे..कुछ साल फिल्म अटकी रही थी, इसके बाद फिर शूटिंग शुरू हुई..ये वो दौर था जब कमाल अमरोही और मीना कुमारी में तनाव सारी हदों को पार कर गया था...पाकीज़ा की शूटिंग मध्यप्रदेश के शिवपुरी में चल रही थी...कमाल अमरोही की एक खास बात थी कि वो जब भी आउटडोर शूट पर जाया करते थे हमेशा दो गाड़ियों से चला करते थे..एक रोज़ ऐसे ही पाकीज़ा की शूटिंग के दौरान शिवपुरी से निकलते हुए अचानक कमाल अमरोही की गाड़ियों का पेट्रोल खत्म हो गया...और फिर वो रात के अंधेरे में बीच सड़क पर ही रुकने के लिए मजबूर हो गए..
कमाल अमरोही को इस बात की खबर तक नहीं थी कि ये इलाका डाकुओं के लिए जाना जाता था..और फिर आधी रात के बाद करीब एक दर्जन डाकुओं ने उनकी कारों को घेर लिया... और सभी को कार से उतरने के लिए कहा...लेकन कमाल अमरोही के साथ कार में बैठी मीना कुमारी ने कार से उतरने से इनकार कर दिया और कहा कि जो भी मुझसे मिलना चाहता है, मेरे पास आए...डाकू ने ठसक कर कहा – कौन हो..कमाल अमरोही ने जवाब दिया...मैं कमाल हूं..कमाल अमरोही...यहां इस इलाके में शूटिंग के लिए आया हूं...लेकिन कार का पैट्रोल खत्म होने की वजह से हमें यहां रूकना पड़ा है...डाकुओं के गिरोह का सरगना था मध्यप्रदेश का मशहूर डाकू अमृतलाल...पहले तो डाकू अमृतलाल को लगा कि कमला अमरोही रायफल शूटिंग की बात कर रहे हैं..लेकिन जब बाकी डाकुओं ने समझाया कि सरदार ये फिल्म की शूटिंग है और अंदर कार में जो महिला बैठी हैं...वो मीना कुमारी हैं...मीना कुमारी का नाम सुनते ही डाकू अमृत लाल के हावभाव बदल गए..मारे खुशी के घोड़े से नीचे उतरा...कमाल अमरोही से हाल-चाल पूछते हुए मीना कुमारी के पास पहुंचा...सालों बाद कमाल अमरोही ने अपने एक इंटरव्यू में इस किस्से को साझा करते हुए कहा था कि डाकू तो बिल्कुल मोहित हो गया था..बाद में बहुत इज्जत से पेश आया..