कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में आम जीवन पर ब्रेक लगा दिया. कामकाज बंद हो गए, कारोबार ठप पड़ गए और जिंदगी पटरी से उतर गई. ऐसा लगा जैसे पूरी दुनिया थम गई. ठीक ऐसे ही भारत में कोरोना ने न सिर्फ काम काज पर असर डाला बल्कि बच्चों की स्कूली पढ़ाई भी प्रभावित हो गई. UNESCO के मुताबिक भारत में कोरोना की वजह से करीब 29 करोड़ स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हुई. जिनमें 13 करोड़ लड़कियां भी शामिल हैं. इस रिपोर्ट में और क्या खुलासा हुआ? भारत समेत पूरे विश्व में बच्चों की पढ़ाई कितनी प्रभावित हुई? और इसका उनके भविष्य पर क्या असर होगा?
क्या कहती है UNESCO की रिपोर्ट?
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना की वजह से दुनिया भर के स्कूल औसतन साढे 4 महीने के लिए बंद रहे. जिसकी वजह से करोड़ों बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हो गए. भारत में करीब 13 करोड़ लड़कियां समेत 29 करोड़ स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हुई. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कुल स्कूल ड्रॉपआउट लड़कियों में से आधी से ज्यादा लड़कियां दोबारा स्कूल नहीं लौटतीं. अब जबकि भारत समेत पूरी दुनिया में जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है, भारत में कोरोना की वजह से अब भी प्री-प्राइमरी और सेकंडरी लेवल के 11 करोड़ से ज्यादा बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हैं. ये पूरे विश्व के स्टूडेंट्स का 7.5% हिस्सा है. चलिए अब आपको भारत का हाल विस्तार से बताते हैं. आखिर क्यों स्कूल बंद होने से बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है?
बच्चों का भविष्य प्रभावित?
मार्च 2020 में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद भारत में स्कूल्स बंद हो गए. ये स्कूल करीब 18 महीने से बंद पड़े हैं. हालांकि, इस दौरान स्कूल्स में ऑनलाइन क्लासेस जारी रहीं, लेकिन डिजिटल डिवाइसेज और बाकी कारणों से ऑनलाइन क्लासेस की अपनी कमियां रही हैं. यही वजह है कि कई बच्चों ने स्कूली पढ़ाई छोड़ दी. लड़कियां वापस स्कूल नहीं लौट पा रही हैं. फिलहाल अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रोटोकॉल के साथ स्कूल्स खोले गए हैं लेकिन अब इसे कोरोना का डर कह लीजिए या कुछ और. माता पिता अब भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. तो क्या इसका असर बच्चों के आने वाले भविष्य पर भी पड़ेगा, जवाब है हां. बच्चों की आगे की लाइफ पर इसका काफी असर होगा, चलिए जानते हैं क्या क्या असर हो सकता है
स्कूल बंद होने से क्या असर होगा?
Unesco की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लॉकडाउन की वजह से (हर 7 में से 1 स्कूली बच्चे की स्कूली शिक्षा के 3 महीने कम हो गए). बच्चों की (बुनियादी शिक्षा की औसत अवधि 7.9 साल से घटकर 7.3 हो गई). 5 महीने स्कूल बंद होने से (हर स्टूडेंट की सालाना कमाई में करीब 64 हजार रुपये की कमी आएगी). 12-17 साल की करीब 1 करोड़ लड़कियां ड्रॉपआउट के बाद दोबारा स्कूल नहीं लौटेंगी जिससे भविष्य में Gender Inequailty भी बढ़ेगी. इसका असर लड़कियों के पोषण से लेकर घरेलू हिंसा जैसे अपराधों को बढ़ावा देने और Population में इजाफे के तौर पर देखने को मिलेगा.