मंगलवार को दिल्ली के कई अलग-अलग इलाकों में आग लगने की चार घटनाएं सामने आईं... लेकिन भलस्वा डंपयार्ड में मंगलवार शाम सुलगी चिनगारी अब भीषण रूप ले चुकी है... फायर ब्रिगेड की दर्जन भर गाड़ियां आग बुझाने की कड़ी मशक्कत कर रही हैं लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका है... आग से उठता धुएं का गुबार कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है... जहरीले धुएं से आस-पास के इलाकों में रहने वालों का बुरा हाल है... उनका सांस लेना तक दूभर होता जा रहा है... तो आज के know this वीडियो में बताएंगे आखिर कचरे के ढेर में आग लगने की बड़ी वजह क्या है... इसको रोकने के लिए दिल्ली सरकार कोई प्रभावी कदम क्यों नहीं उठा रही.. बस आखिर तक वीडियो में बने रहिए हमारे साथ...
गर्मी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं... ताजा मामला भलस्वा लैंडफिल का है.. बताया जा रहा है कि मंगलवार शाम कचरे के ढेर में आग लगी थी.. जो रात गहराते और भीषण होती गई... आग को बुझाने में फायर ब्रिगेड टीम के पसीने छूट रहे हैं... खबर लिखे जाने तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था... आग लगने की घटना के बाद दिल्ली सरकार हरकत में आई... और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को 24 घंटों के अंदर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
((बाइट- गोपाल राय))
गौरतलब है कि दिल्ली में गर्मी के दिनों में हर साल आग लगने की दर्जनों घटनाएं सामने आती हैं... इस साल की बात करें तो डंपयार्ड में आग लगने की ये चौथी घटना है... इससे पहले 28 मार्च को ईस्ट दिल्ली के गाजीपुर में कचरे के ढेर पर आग लगी थी.. जिसको बुझाने में फायर ब्रिगेड को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.. 2 दिन बाद आग पर काबू पाया जा सका था...
लैंडफिल साइट में आग लगने की बड़ी वजह कचरे के ढेर से निकलने वाली मीथेन गैस है... अब ये मीथेन गैस बनती कैसे है, तो आपको बता दें लोग कचरे में फलों, सब्जियों के छिलके और बचा हुआ खाना फेंक देते हैं... ज्यादा गर्मी और दबाव से कचरे के ढेर से मीथेन गैस निकलती है... मीथेन गैस नेचुरल गैस है लेकिन ये ज्वलनशील है.. थोड़ी सी चिनगारी मिलते ही ये गैस आग पकड़ लेती है..लगातार गैस निकलने की वजह से आग पर काबू पाना मुश्किल होता है... कचरे में मौजूद कागज, पॉलिथीन, थर्माकॉल की वजह से आग और भड़क जाती है...
बात करें कचरे के ढेर में आग लगने से होने वाले पॉल्यूशन की तो... सब जानते हैं देश की राजधानी दिल्ली में एयर पॉल्यूशन डेंजरस लेवल पर है... ऊपर से इस तरह की घटनाएं एयर पॉल्यूशन को एक्सट्रीम लेवल पर ले जाती हैं... धुएं में मौजूद कार्बन पार्टिकल्स, कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी कई अन्य जहरीली गैसें ऑक्सीजन का लेवल काफी हद तक गिरा देती है...जिसकी वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है.. और दम घुटने लगता है...अगर कोई शख्स ज्यादा देर तक इन गैसों के कॉन्टैक्ट में आता है तो उसकी मौत तक हो सकती है.
हर साल इस तरह की घटनाएं होती है लेकिन सरकार इस पर कोई ठोस एक्शन नहीं ले पा रही... बढ़ते प्रदूषण, कचरे के ढेर में आग लगने की घटना को लेकर NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को कई बार फटकार लगा चुका है... बावजूद इसके ना तो कूड़े के ढेर को कहीं और शिफ्ट किया गया और ना ही आग लगने की घटनाओं से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया।