भारतीय सेना की जल, थल और वायु सुरक्षा आए दिन और भी मजबूत और कड़ी होती जा रही है। सेना में ऐसे शक्तिशाली उपकरण शामिल किए जा रहे हैं, जिसके नाम मात्र से ही दुश्मनों के पसीने छूट जाएंगे। इसी कड़ी में भारतीय सेना को दुश्मन के विमानों और ड्रोन को मार गिराने की अपनी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसमें 'मेक इन इंडिया' के अंतर्गत देश को एक बड़ी ताकत मिलेगी। सेना ने मेक इन इंडिया (Make in India) वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए सरकार के सामने प्रस्ताव रखा है. अब भारतीय सेना को दुश्मन के विमानों और ड्रोन को मार गिराने की अपनी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए आकाश प्राइम मिसाइल की दो नई रेजिमेंट मिलेंगी. हालांकि, भारतीय सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Missile Systems) की दो रेजिमेंट हैं, जिन्हें गलवान घाटी में हिंसा के बाद चीन सीमा पर तैनात किया गया था.
तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आकाश प्राइम मिसाइल की खासियतें क्या हैं और कैसे ये भारतीय सेना को मजबूत करेगा? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा निर्मित आकाश मिसाइल भारतीय सेना और वायु सेना में शामिल की गई सबसे सफल स्वदेशी मिसाइलों में से एक है. इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायुसेना में और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था.
96 फीसदी स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है.
आकाश प्राइम मिसाइलें बेहतर सटीकता के लिए स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) से लैस हैं.
आकाश के पुराने version के उल्टा प्राइम मिसाइल को high altitude पर कम तापमान वाले वातावरण में अधिक विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए अपग्रेड किया गया है.
मौजूदा आकाश प्राइम प्रणाली ने परीक्षणों के दौरान भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के विश्वास को और बढ़ाया है.
मिसाइल को 4,500 मीटर तक की ऊंचाई पर तैनात करके लगभग 25-30 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को मार गिराया जा सकता है.
दरअसल, भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तैनाती के लिए दो और रेजिमेंट जोड़ना चाहती है. भारतीय सेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने आकाश प्राइम मिसाइलों की दो रेजिमेंट बनाने का प्रस्ताव रखा है. नई आकाश मिसाइलों में पूर्व के संस्करणों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन रेंज है.
बता दें कि इसका primary purpose पाकिस्तान और चीन के साथ पहाड़ी सीमाओं पर किसी भी विमान की घुसपैठ से बचना है. इसके अधिग्रहण (acquisition) की लागत 10,000 करोड़ रुपए होगी. भारतीय सेना के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी कमानों ने आकाश प्राइम मिसाइलों के मौजूदा संस्करण (version) की लगभग एक दर्जन परीक्षण फायरिंग की है.