चीन अपनी हरकतों से कभी बाज़ नहीं आता. आए दिन ड्रैगन की चालबाजी की कई खबरें सामने आती रहती हैं. और बात जब भारत की हो, तो चीन कहां पीछे हटने वाला है. अमेरिका से बराबरी की होड़ में चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत में बढ़ोतरी कर रहा है. जिससे भारत की चिंता भी बढ़ सकती है. ड्रैगन अपनी सैन्य ताकतों में इजाफा के साथ सुपरपावर अमेरिका की बराबरी करने में जुट गया है. हालांकि ये बात भारत से छुपी नहीं है. चीनी सैन्य ताकतों में इजाफा को लेकर भारत के रक्षा मंत्रालय की तरफ से बयान भी सामने आया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन दरअसल अमेरिका की बराबरी करना चाह रहा है. लेकिन चीन के इस कदम से भारत के लिए खतरा पैदा हो सकता है. जिसके मद्देनजर भारत ने सख्त कदम उठाने की बात कही है.
ये सभी बातें संसदीय समिति की बैठक के दौरान रक्षा मंत्रालय द्वारा कही गई. दरअसल इस बैठक में चर्चा वायुसेना को दिए जाने वाले बजट पर की जा रही थी. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत को भी अपनी सैन्य ताकत बढ़ानी होगी. भारत के पास फिलहाल जितने फाइटर जेट्स हैं, वो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए कम पड़ सकते हैं. इस बैठक में रक्षा के क्षेत्र में भारत के सामने जो चुनौतियां खड़ी हैं, उनपर भी बात की गई. इंडियन एयरफोर्स को दुश्मनों के फाइटर जेट्स के मुकाबले लंबी दूरी के हथियारों की खरीदी करनी होगी. हालांकि, इसके लिए मौजूदा बजट संसाधनों का इस्तेमाल तो किया जाएगा, लेकिन इसके लिए अतिरिक्ट धन की भी जरूरत पड़ेगी. इसके साथ ही ये मौजूदा ऑपरेशनल क्षमता को कायम रखने के लिए भी बहुत जरूरी है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल लडाकू विमानों की 32 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध है, जबकि दोहरे फ्रंट की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है. आपको बता दें कि, एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं. यानी कि भारतीय वायुसेना के पास अभी 180 लडाकू विमानों की कमी है. इसके अलावा भारत के पास चार स्क्वाड्रन मिग की हैं जोकि पुरानी हैं.
हालांकि भारत अपनी रक्षा पर काफी खर्च कर रहा है. 2022 के बजट में भी भारत ने सबसे ज्यादा रक्षा पर ही खर्च किया. लेकिन बात चीन के रक्षा बजट की करें तो, चीन का रक्षा बजट भारत से तीन गुना से भी ज्यादा है. अमेरिकी कांग्रेस बजट ऑफिस ने कुछ आकड़ें जारी किए हैं, जिसके मुताबिक Military budget के मामले में भारत तीसरे नंबर पर हैं. साल 2021 में चीन ने डिफेंस पर 293 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि भारत का बजट महज 76.6 अरब डॉलर रहा. वहीं सबसे ज्यादा अमेरिका ने, 801 अरब डॉलर, अपने बजट पर खर्च किए. बात करें भारत की तो, भारत के रक्षा मंत्री ने कड़ा रुख अपनाया है. रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि जरूरत पड़ने पर चीन से निपटने के लिए भारत के पास चीन को काउंटर की क्षमता होनी चाहिए.