केंद्र सरकार ने वरिष्ठ रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ को Indian Space Research Organisation यानि ISRO का प्रमुख नियुक्त किया है. एस सोमनाथ ने के. सिवन की जगह ली है. कार्मिक मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है. एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे इसरो के नए चीफ बनाए जाने की खुशी है. मेरा फोकस technology, policy, implementation और ऐसे क्षेत्रों में होगा जहां हितधारकों का ध्यान रखा जाएगा. हमें नए दृष्टिकोण लाने की जरूरत है. नो दिस के इस वीडियो में हम आपको एस सोमनाथ के बारे में सब कुछ बताएंगे. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
डॉ. सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में हुआ. उन्होंने कोल्लम के TKM कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस IIS बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. साल 1985 में वो Vikram Sarabhai Space Centre यानि VSSC के साथ जुड़े थे. जून 2010 से 2014 तक वह GSLV एमके-3 के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे थे. उन्होंने भारी सैटेलाइट की लॉन्चिंग के लिए GSLV एमके-3 लॉन्चर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बता दें GSLV एमके-3 भारत का सबसे महत्वपूर्ण स्पेस व्हीकल है.
एस. सोमनाथ देश के बेहतरीन रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं. सोमनाथ अपने करियर के शुरुआती दिनों में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल PSLV के integration टीम लीडर थे. एस. सोमनाथ तिरुवनंतपुरम स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर भी रहे हैं.
उन्होंने इसरो के रॉकेट्स के विकास में काफी योगदान दिया है. सोमनाथ लॉन्च व्हीकल की डिजाइनिंग के मास्टर हैं. साथ ही वो लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स और पाइरोटेक्नीक्स के भी एक्सपर्ट हैं. इसरो चीफ बनने से पहले वो GSAT-MK11 को अपग्रेड करने में लगे थे. ताकि भारी संचार सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में लॉन्च किया जा सके. इसके अलावा एस.सोमनाथ GSAT-6A और PSLV-C41 को भी बेहतर बनाने में लगे थे ताकि रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स को सही तरीके से लॉन्च किया जा सके.
एस सोमनाथ को लॉन्च व्हीकल की डिजाइन तैयार करने में अपने योगदानों के लिए जाना जाता है. वो लॉन्च व्हीकल की सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनामिक्स और पायरोटेक्निक्स के माहिर माने जाते हैं. एस सोमनाथ ने कहा कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ISRO तक ही सीमित है, लेकिन सरकार अब चाहती है कि इस क्षेत्र में नए लोग आएं. साथ ही सोमनाथ ने अंतरिक्ष बजट को मौजूदा 15,000-16,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000-50,000 करोड़ रुपये से अधिक किए जाने की आवश्यकता जताई है. उन्होंने साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि इसरो का निजीकरण किया जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि एस सोमनाथ ISRO प्रमुख के तौर पर भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में नई बुलंदियों तक लेकर जाएंगे.