मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केन्द्र सरकार कई नीतियों पर काम कर रही है. उन नीतियों में एक है Agristack. लेकिन ये Agristack क्या है... ये कैसे काम करेगा... किसानों को इससे क्या फायदा होगा. ये वो सवाल हैं जिनका जवाब जानना जरूरी है. नो दिस के इस वीडियो में हम इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे. साथ ही आपको बताएंगे क्या एग्रीस्टैक के कुछ नुकसान भी हैं? लेकिन ये सब जानने के लिए इस वीडियो को आखिर तक देखना जरूरी है.
सबसे पहले आपको बताते हैं
क्या है Agristack?
एग्री-स्टैक टेक्नोलॉजी और डिजिटल डेटाबेस का एक collection है जो किसानों और कृषि क्षेत्र पर केंद्रित है. डिजिटल डेटाबेस किसानों को सब्सिडी पहुंचाने, उन्हें सेवा मुहैया कराने और कृषि नीतियों को लागू करने में मदद करेगा. इस कार्यक्रम के तहत, देश के सभी किसानों को पहचान पत्र यानि FID दी जाएगी, जो उनकी जमीन के रिकॉर्ड से जुड़ी होगी. केंद्र का कहना है कि ये ecosystem किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र की efficiency बेहतर करने में मदद करेगा.
इसका इस्तेमाल किसानों को सेवाओं की एंड-टू-एंड डिलीवरी के लिए किया जाएगा.
Agristack कैसे काम केरगा?
डेटाबेस देश भर के किसानों के land records को पीएम किसान, Soil Health Card और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे कार्यक्रमों से संबंधित डेटा से जोड़ने का काम करेगा. डेटाबेस को तैयार करने में आधार कार्ड आधारित किसान योजनाओं जैसे पीएम-किसान का इस्तेमाल किया जा रहा है. Agristack के जरिए हर किसान को एक डिजिटल आईडी दी जाएगी, जिसे उनके आधार नंबर से जोड़ा जाएगा.
एग्रीस्टैक के डेटा में personal details, land profile, production details और financial details जैसी जानकारियां शामिल हो सकती हैं. मंत्रालय ने बताया कि अब तक लगभग 5 करोड़ किसानों की details वाला एक डेटाबेस तैयार किया गया है और जल्द ही सभी किसानों की डीटेल्स के साथ इसे पूरा कर लिया जाएगा.
Agristack से क्या फायदा होगा?
यह परियोजना किसानों की लागत को कम करेगी और खेती को आसान बनाएगी. Internet Freedom Foundation (IFF) का कहना है कि एग्रीस्टैक किसानों से जुड़े कई मुद्दों को हल करेगा. ये pest infestation, फसल की बर्बादी, उपज के पूर्वानुमान से जुड़ी जानकारी देगा. एग्रीस्टैक किसानों को ये पता लगाने में मदद करेगा कि अपनी उपज को बेचना है या स्टोर करना है, या कब, कहां और किस कीमत पर बेचना है.
किसानों को सब्सिडी पहुंचाने में अभी भी कई जगहों पर दिक्कतें आती हैं. केंद्र सरकार को फर्टिलाइजर के सालाना डिमांड की जानकारी है लेकिन इसकी जानकारी नहीं है कि एक किसान को असल में कितनी खाद की आवश्यकता होती है. आधार से जुड़े डेटाबेस बनने के बाद जिला स्तर पर किसानों के खेतों की साइज और फसल के प्रकार के बारे में जानकारी मिलेगी. साथ ही सब्सिडी पहुंचाने में होने वाले भ्रष्टाचार को भी रोका जा सकेगा. हालांकि इन सब के बीच किसानों की privacy protection को लकेर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.