यूक्रेन की सेना को अरबों डॉलर के हथियार देकर रूसी सेना को भारी नुकसान पहुंचाने के बाद अब अमेरिका की नजर पुतिन के दोस्तों पर आ गई है.... और इन दोस्तों में सबसे पहला नाम आता है भारत का... भारत की ताकत को अमेरिका पहचानता है और रूस के साथ भारत के याराना को भी अच्छी तरह जानता है...
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत ने यूक्रेन युद्ध में रूस की आलोचना नहीं की है, इसके बाद भी ये अमेरिकी हथियार भारत को दिए जाएंगे। अमेरिका की कोशिश है कि वह भारत का हर क्षेत्र में एक विश्वसनीय सहयोगी देश बने। बाइडन प्रशासन इसके अलावा दूसरे देशों जैसे फ्रांस के साथ मिलकर काम कर रही है... ताकि पीएम मोदी की सरकार को हर हथियार मिले जिसकी उन्हें जरूरत है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत ने रूस से अपने हथियारों की निर्भरता को कम करने के लिए पहले ही प्रयास तेज कर दिया है और बाइडन प्रशासन इसे और तेज करना चाहता है।
बाइडन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत को किस तरह से बड़े हथियार जैसे फाइटर जेट, नौसैनिक युद्धपोत और युद्धक टैंक मुहैया कराए जाएं। अमेरिकी प्रशासन इन क्षेत्रों में भी बड़ी सफलता हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका की 50 करोड़ डॉलर की हथियारों की सहायता एक तरह से सहायता करने का प्रतीकात्मक संकेत है। भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी इस पर कोई कॉमेंट करने से इंकार कर दिया है।
भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है। हालांकि अब भारत रूस पर हथियारों की निर्भरता को कम कर रहा है। भारत ने अभी हाल ही में रूस के साथ कमोव हेलिकॉप्टर सौदे को रद्द कर दिया है। पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका से 4 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, वहीं रूस से 25 अरब डॉलर का सौदा हुआ है। विश्लेषक मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता के कारण ही मोदी सरकार ने यूक्रेन पर रूस की आलोचना से परहेज किया। अमेरिका की सरकार इसको लेकर पहले भारत से काफी नाराज हुई थी लेकिन अब उन्हें भारत के संकट का अहसास हो गया है। यही नहीं चीन से निपटने के लिए अब खुलकर अमेरिका भारत का साथ दे रहा है।