दुश्मन देशों में खौफ का दूसरा नाम ब्रह्रोस अब और भी एडवांस होने जा रही है... इसे और भी घातक और सटीक बनाने के लिए ब्रह्रोस-2 प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है... इस बात का खुलासा ब्रह्रोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर अतुल राणे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया... आने वाले कुछ सालों में ये मिसाइल हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेगी... यानि साउंड की स्पीड की 5 गुना गति से ये मिसाइल दुश्मन पर अटैक करेगी... दुश्मन सतर्क भी नहीं हो पाएगा और ये मिसाइल पलक झपकते उसे तबाह कर देगी... अब बात करें ब्रह्रोस एयरोस्पेस की... तो आपको बता दें, ये भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर यानि साझा कार्यक्रम है... जो दुनियाभर में सबसे तेज और घातक हथियार बनाने के लिए जाना जाता है... इसका ब्रह्रोस (BrahMos) नाम भारत की ब्रह्रपुत्र और रूस की मस्कोवा नदी के नाम पर रखा गया था... ये दोनों नदियां भारत और रूस की संस्कृति को साझा करती हैं...भारत-रूस ने इसी ज्वाइंट वेंचर के तहत दुनिया की सबसे ताकतवर ब्रह्रोस सुपरसोनिक मिसाइल बनाई है... ये मिसाइल अब भारत की तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ा रही है...
आपको बता दें, अगले साल ब्रह्रोस एयरोस्पेस के 25 साल पूरे हो रहे हैं... सिल्वर जुबली ईयर के मौके पर ब्रह्रोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर अतुल राणे ने ऐलान किया... अब वक्त आ गया है कि ब्रह्रोस एयरोस्पेस अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल बनाए... अब आप पूछेंगे आखिर ये चक्कर क्या है, ये सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें क्या होती हैं ?
तो इसे ऐसे समझिए... किसी मिसाइल की स्पीड, ध्वनि की आवाज से नापी जाती है... ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकेंड यानि 1 मैक होती है... ब्रह्रोस सुपरसोनिक मिसाइल की बात करें तो इसकी स्पीड 2.8 मैक है... यानि इस मिसाइल की स्पीड ध्वनि की गति की करीब तीन गुना है... ये मिसाइल 4 हजार 300 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकती है...
अब बात करें हाइपरसोनिक मिसाइल की तो... जो मिसाइल ध्वनि की गति से 5 गुना यानि 1 हजार 660 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से उड़ती है वो हाइपरसोनिक कहलाती है... यानि ये मिसाइल 6 हजार 115 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को बर्बाद करने में सक्षम होती हैं... हाइपरसोनिक मिसाइल की एक और खासियत होती है कि ये कम ऊंचाई पर भी उड़ सकती है... आसानी से टारगेट का पीछा कर सकती है, भले ही टारगेट भाग रहा हो..
दुनियाभर में हाइपरसोनिक मिसाइल केवल रूस के पास ही है... रूस के पास अवनगार्ड नाम की हाइपरसोनिक मिसाइल है... इसके अलावा रूस के पास 3M22 जिरकोन नामक एंटी-शिप हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी है.. वहीं अमेरिका के 2011 से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है... अमेरिका के पास पहली हाइपरसोनिक मिसाइल के 2023 तक आने की संभावना है… चीन भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने के करीब पहुंच चुका है... इनके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटे हैं। वहीं नॉर्थ कोरिया भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा कर चुका है।
वहीं भारत की बात करें तो DRDO कई सालों से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी में जुटा है... 2020 में DRDO ने एक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण किया था... रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत HSTDV का इस्तेमाल करके अपनी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की तरफ बढ़ रहा है... साथ ही भारत रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-II मिसाइल के विकास में जुटा है.. जोकि एक हाइपरसोनिक मिसाइल है... इस मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा... इस मिसाइल की रेंज 600 किलोमीटर होगी, जिसे बढ़ाकर 1 हजार या 1500 किलोमीटर तक किया जा सकता है... यानि ये मिसाइल साउंड की स्पीड से 7 से 8 गुना ज्यादा यानि करीब 9 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करेगी... इसकी टेस्टिंग 2024 तक होने की उम्मीद जताई जा रही है.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल एंटी-शिप, लैंड अटैक, सतह से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी.. इसे युद्धपोत, पनडुब्बी, फाइटर जेट या जमीन पर मौजूद मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकेगा... इसका फायदा ये होगा कि चीन या पाकिस्तान के टारगेट्स को खत्म करने में इसे चंद सेकेंड्स लगेंगे.... इसकी स्पीड इतनी ज्यादा होगी कि ये रडार की पकड़ में भी नहीं आएगी... ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बीजिंग की हवाई सुरक्षा को भेदते हुए ऐसे निकलेगा जैसे मक्खन के बीच से छुरी निकल जाती है... ये मिसाइल हवा में अपनी दिशा भी बदल सकती है... यानि टारगेट का पीछा करके उसे खत्म करके ही दम लेगी... इसके लिए मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) तकनीक को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को कंट्रोल किया जा सके.
उत्तर प्रदेश में 300 करोड़ के शुरुआती निवेश के साथ 80 हेक्टेयर जमीन पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाया जा रहा है... ये सेंटर 2024 तक बनाकर तैयार हो जाएगा... इस सेंटर के बन जाने से हर साल 80 से 100 ब्रह्रोस सिस्टम तैयार होंगे...यानि आगे चलकर ब्रह्रोस मिसाइल दूसरे देशों को भी बेची जाएंगी...