बीएसएफ में क्या बदलाव किए गए हैं?
बीएसएफ एक्ट 1968 की धारा 139 के तहत केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल यानि बीएसएफ को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे भारतीय इलाकों में 50 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई का अधिकार दे दिया है. BSF अधिकारियों को अब इस दायरे में किसी की भी तलाशी, गिरफ्तारी और जब्ती की इजाजत मिल गई है. इससे पहले पंजाब और पश्चिम बंगाल में बीएसएफ के कंट्रोल का दायरा महज 15 किलोमीटर था, जबकि गुजरात में इसकी सीमा 80 किलोमीटर थी.
अब सीमा सुरक्षा बल केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में भी नए अधिकार का इस्तेमाल कर सकेगा. सीधे शब्दों में कहें तो अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना भी BSF सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में कानूनी एक्शन ले सकता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को इसका नोटिफिकेशन जारी किया. लेकिन इसके बाद पंजाब और पश्चिम बंगाल में सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया. अब आपको बताते हैं कि इस हंगामे की वजह क्या है?
बीएसएफ पर नए फैसले का विरोध क्यों?
अकेले पंजाब की बात करें तो राज्य का कुल लैंड एरिया 50,362 स्क्वायर किलोमीटर है. अगर इसके 50 KM दायरे को देखा जाए तो करीब 25 हजार वर्ग किमी एरिया अब BSF के कंट्रोल में है. जिसका मतलब है राज्य के 6 जिलों पर - जिनमें अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और पठानकोट शामिल है - अब बीएसएफ का कंट्रोल होगा. यानी कि सीमा सुरक्षा बल को इन जिलों में एक तरह से पंजाब पुलिस जैसे अधिकार मिल जाएंगे. और इससे कुल 12 जिले प्रभावित होंगे. यही वजह है कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद पंजाब में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल जैसी पार्टियों के मुताबिक ऐसे में बिना चुनाव जीते ही आधे पंजाब पर केंद्र का शासन होगा. सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर मुख्य विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इस मुद्दे पर केंद्र का घेराव कर रहे हैं. जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह अकेले ऐसे नेता हैं जो केंद्र के इस फैसले के साथ खड़े दिख रहे हैं. चलिए अब आपको बताते हैं कि बीएसएफ क्या है और ये क्या काम करती है?