तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में बुधवार को वायुसेना का Mi-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है. इस हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कुल 11 लोगों की जान चली गई है. इस हेलीकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे. इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत उन्हीं के स्टाफ के लोग शामिल थें. हेलीकॉप्टर क्रैश होने के पीछे का कारण खराब मौसम बताया गया. ये सभी एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे.
16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी फ़ौज में थे. बिपिन रावत का बचपन फौजियों के बीच ही बीता. उनकी शुरूआती पढाई सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला में हुई. इसके बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी में एडमिशन लिया और देहरादून चले गए. बिपिन रावत ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में पढ़ाई की थी. इसके साथ ही उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस सर्विसेज में एमफिल किया था. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था. उनके पिता रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए.
बिपिन रावत को दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में शामिल किया गया था. जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर 'से सम्मानित किया गया था. यहीं उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत की यूनिट भी थी. उनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देता रहा है.
बिपिन रावत को 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटैलियन में कमिशन मिला था. इसके बाद वो 1986 में चीन से लगे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर इन्फेन्ट्री बटैलियन को संभाला. 5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिविजन की अगुआई कर चुके बिपिन रावत ने ब्रिगेडियर के तौर पर कॉन्गो में यूएन पीसकीपिंग मिशन के मल्टीनैशनल ब्रिग्रेड की अगुआई भी की थी. इसी दौरान अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवाएं देते हुए उन्होंने 7000 लोगों की जान बचाई थी.