हम अक्सर देखते हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों में बारिश की वजह से आई बाढ़ के चलते लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब इस समस्या को दूर करने के लिए चेन्नई एक अनोखा तरीका अपनाने जा रहा है. दरअसल हाल ही में चेन्नई ने स्पॉन्ज सिटी डेवलप करने का फैसला किया है... अब आप सोच रहे होंगे ये स्पॉन्ज सिटी क्या होता है. आज इस वीडियो में हम आपको इसके बारे में सब कुछ बताएंगे. स्पॉन्ज सिटी क्या होती है? इसे कैसे बनाया जाता है? स्पॉन्ज सिटी बनाने के क्या फायदे होते हैं? किन किन देशों में ये बनाई गई है?
स्पॉन्ज सिटी क्या है ?
जिस तरह स्पंज अपने आस पास के पानी को सोख लेता है और कुछ साफ करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह स्पंज सिटी का सीधा मतलब है वो शहर जहां पानी के सही इस्तेमाल के लिए एक जगह इकट्ठा किया जा सके. इसमें ज्यादा बारिश के बाद इकट्ठा होने वाली पानी या बाढ़ के पानी को एक जगह करके स्टोर किया जाता है ठीक उसी तरह जैसे एक स्पंज करता है.
शहर में पानी को अब्जॉर्ब किया जाएगा और उससे या तो ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने की कोशिश की जाएगी या फिर पानी को किसी और दूसरे तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा. यह एक तरह का फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम है. इससे बाढ़ और बारिश के पानी का सही तरह से निकास किया जाता है. उसका लक्ष्य जमीनी जल स्तर बढ़ाने या उस पानी का फिर से इस्तेमाल करना है. अब चेन्नई मेट्रोपोलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी भी यह ही काम करने वाली है और बारिश के पानी का सदुपयोग करने जा रही है.
कैसे बनाई जाती है स्पॉन्ज सिटी?
स्पंज सिटी बनाने के लिए सरकार की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं. वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट प्लान कर रहा है कि इसके लिए शहर में रिचार्ज शाफ्ट बनाए जाएंगे. इन शाफ्ट के जरिए बारिश का पानी तालाब या गड्डे में इकट्ठा होगा और जमीन में चला जाएगा, जिससे जमीन का जल स्तर काफी बढ़ेगा. ये 80-90 फीट नीचे तक बनाए जाएंगे और पानी को नीचे तक छोड़ा जाएगा, जिससे पानी जमीन में आसानी से जा सके. इस पानी को अन्य तरीके से भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
किन देशों में बनी है स्पॉन्ज सिटी?
स्पॉन्ज सिटी की शुरूआत चीन से हुई... वो ऐसी सैकड़ों स्पॉन्ज सिटी का निर्माण कर रहा है. साथ ही वहां मौजूदा शहरों को स्पॉन्ज सिटी बनाने का काम भी चल रहा है. स्पॉन्ज सिटी जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से खुद को बचाने का एक तरीका है. चीन में सफलता हासिल करने के बाद स्पॉन्ज सिटी मॉडल ने ढाका, केन्या, बर्लिन और लॉस एंजिल्स जैसे प्रमुख शहरों को भी आकर्षित किया है. पश्चिमी जर्मनी में एक छोटा समुदाय भी देश की पहली स्पॉन्ज सिटी बनाने की तैयारी में है.