भारत में क्यों आया कोयला संकट?
देखा जाए तो देश में आई कोयले की कमी के कई कारण है. ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, बिजली संकट के पीछे एक बड़ी वजह कोरोना काल भी है. इस दौरान ऑफिस के काम से लेकर हर काम घर से ही निपटाए जा रहे थे, जिसके लिए लोगों ने जमकर बिजली का इस्तेमाल किया. दूसरी बड़ी वजह है, सरकार का हर घर बिजली देने का लक्ष्य, जिसकी वजह से पहले के मुकाबले बिजली की मांग काफी बढ़ी है. ऊर्जा मंत्रालय के एक आंकड़े के अनुसार 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रति महीना थी. ये आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने तक पहुंच गया है.
बारिश भी बड़ी वजह !
पिछले दो महीने में देश में भारी बारिश हो रही है जिसकी वजह से डोमेस्टिक कोयला प्रोडक्शन काफी प्रभावित हुआ. कोयले की खान में पानी भरा हुआ है और जरूरी ट्रांसपोर्ट रूट खराब हो गए हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी, तमिलनाडु, एमपी ने कोयला कंपनियों के बकाए का भुगतान नहीं किया, जिसके कारण बिजली कंपनियों पर आर्थिक संकट आ गया.
बाहरी देशों से आने वाले कोयले में भी कमी! gfx
इंटरनेशनल मार्केट में कोयले की बढ़ती कीमतें भी कहीं ना कहीं कोयले की सप्लाई कम कर रही हैं. आपको बता दें फिलहाल भारत के पास 300 अरब टन का कोयला भंडार है, लेकिन बावजूद इसके उसे बड़ी मात्रा में कोयले का आयात इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरीका जैसे देशों से करना पड़ता है. इसके पीछे की वजह है भारत में होने वाली बिजली की ज्यादा खपत. हालांकि अब बाहरी देशों से आने वाले कोयले में भी कमी देखी जा रही है. इंडोनेशिया की ही बात करें तो मार्च 2021 में कोयला की कीमत 60 डॉलर प्रति टन थी जो अब बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन हो गई है. जिसकी वजह से कोयले का आयात कम हुआ है. इस संकट के लिए चीन भी जिम्मेदार है. जिसने अपने यहां बिजली संकट को दूर करने के लिए भारत का 20 लाख टन से ज्यादा कोयला अपने बंदरगाहों पर रख लिया है. जो ऑस्ट्रेलिया से वाया चीन भारत आ रहा था.