गर्मी का सितम बढ़ने के साथ देश में बिजली संकट गहराता जा रहा है... बिजली कटौती से जनता परेशान है... पारा हॉफ सेंचुरी मारने को बेताब दिख रहा है.. पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक महज 10 दिन का और बचा है...अब ऐसे में कोल माइनिंग करने वाली कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पावर प्लांट्स को कोयले की आपूर्ति बनाए रखना है...
देश में कोल क्राइसिस की असल वजह क्या है?.. अगर कोयले की कमी थी तो सरकार ने पहले से तैयारी क्यों नहीं की?.. रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग, कहीं कोल क्राइसिस की वजह तो नहीं... सारे सवालों के जवाब मिलेंगे KNOW THIS के इस वीडियो में ...बस बने रहिए हमारे साथ..
6 साल बाद देश एक बार फिर बिजली संकट से जूझ रहा है...कई राज्यों में पारा 45 डिग्री के पार चला गया है... भीषण गर्मी के चलेत बिजली की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है... लेकिन इन सबके बीच देश के कई राज्य कोयला संकट से जूझ रहे हैं.. कोयले की कमी से राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों में कई घंटों तक बिजली की कटौती हो रही है...आने वाले दिनों में हालात और खराब होने की आशंका है...गर्मी बढ़ने की वजह से बिजली की डिमांड 8 से 10 फीसदी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
भारत करीब 200 गीगावॉट बिजली यानी करीब 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से चलने वाले प्लांट्स यानि थर्मल प्लांट्स से करता है... देश के ज्यादातर बिजली पैदा करने वाले प्लांट कोयले से चलते हैं.. लेकिन इस समय ज्यादातर प्लांट्स बढ़ती हुई बिजली की मांग और कोयले की कमी की वजह से कम बिजली सप्लाई कर पा रहे हैं..
कोल इंडिया थर्मल प्लांट्स के लिए रोजाना 16.4 लाख टन कोयले की सप्लाई कर रहा है, जबकि कोयले की मांग प्रतिदिन 22 लाख टन तक पहुंच गई है.. कोयले की खपत इस साल 8 फीसदी बढ़ी है... लेकिन कोल इंडिया ने कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ाया..
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) के मुताबिक देश के कोयले से चलने वाले 150 बिजली प्लांट्स में से 86 में कोयले का स्टॉक बेहद कम हो गया है। इन प्लांट्स के पास अपनी सामान्य जरूरतों का 25 फीसदी स्टॉक ही बचा है..बिजली संकट की एक और वजह कोयले की ढुलाई न हो पाना है.. दरअसल, कोयला कंपनियों से बिजली प्लांट्स तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे के पास पर्याप्त कोच नहीं थे..
आमतौर पर मॉनसून में कोयले की कमी होती है.. बारिश की वजह से कोयला खनन प्रभावित होता है... लेकिन इस बार हीट वेव बढ़ने से गर्मी में ही कोयले की कमी हो गई है, क्योंकि तेज गर्मी से भी खनन कम हो पाता है.. कोल पावर प्लांट्स में गर्मी की वजह से पानी की बेहद कमी है... पानी की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन कम होगा..क्योंकि टर्बाइन को घुमाने के लिए पानी को भाप बनाकर इस्तेमाल किया जाता है... कोयले और पानी की कमी के बाद एक और बड़ी वजह सामने आ रही है... और वो है पेमेंट समय पर ना होना... कोल माइनिंग कंपनियों से लेकर बिजली उत्पादन करने वाले प्लांट और बिजली डिस्ट्रीब्यूट करने वाली कंपनियां, हर कोई पैसों की कमी से जूझ रहा है... सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड का पावर प्लांट्स पर करीब 7 हजार 918 करोड़ रुपए बकाया है...फिर भी वो कोयला बेच रही है... वहीं पावर प्लांट्स का डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों पर 1.1 लाख करोड़ से ज्यादा का बकाया है... फिर भी वो बिजली बेच रही है.. इसी तरह डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को 5 लाख करोड़ से ज्यादा घाटा हुआ है...लेकिन वो फिर भी डिस्ट्रीब्यूशन बनाए हुए है... खुद सरकार ने इस बात को माना है.. अब ऐसे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती है, बढ़ती मांग के बीच देश में बिजली सप्लाई को बनाए रखना...क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वहां से भी कोयले की आपूर्ति बंद है..और अगर कोयला मंगाया भी गया तो आने में दो से तीन महीने का वक्त लग जाएगा.. ऐसे में सरकार को कोई दूसरा रास्ता तलाशना होगा.