महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए खुशी की खबर है...आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल के दाम गिरने की संभावना जताई जा रही है...बताया जा रहा है कि ऐसा क्रूड ऑयल की मांग में कमी की वजह से हो रहा है... SBI की इकोनॉमिक रिपोर्ट यानि इकोरैप का अनुमान है कि आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल 90 डालर प्रति बैरल के नीचे चला जाएगा... तो KNOW THIS के इस वीडियो में हम बताएंगे... अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार क्यों गिर रही हैं...साथ ही हम आपको बताएंगे हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?.. तो वीडियो में आखिर तक बने रहिए हमारे साथ...
ब्रेंट क्रूड ऑयल यानि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की असल वजह है चीन... बता बता दें कि चीन विश्व में सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल इम्पोर्ट करता है.. लेकिन कोरोना की वजह से चीन के कई प्रमुख शहरों में लाकडाउन लगा हुआ है... जिसका सीधा असर चीन के औद्योगिक उत्पादन पर पड़ा है... अब चूंकि चीन में औद्योगिक उत्पादन कम हो रहा है तो ऐसे में क्रूड ऑयल की डिमांड भी घटी है... सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक चीन में पेट्रोल, डीजल और हवाई फ्यूल की मांग में 9 फीसदी तक की गिरावट देखी गई.. इस हिसाब से चीन में कच्चे तेल की खपत में प्रतिदिन 12 लाख बैरल की कमी का अनुमान है...यही वजह है कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई...और कच्चे तेल की कीमत 103.9 डालर प्रति बैरल पहुंच गई..
एसबीआई इकोरैप की अनुमान के मुताबिक आने वाले एक या दो महीनों में कच्चे तेल की कीमत 90 डालर प्रति बैरल के नीचे आ सकती हैं.. उधर यूरोपीय देश भी रूस से क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट लगातार बनाए हुए हैं... यूरोपीय देशों की डिमांड के चलते रूस ने भी क्रूड ऑयल का उत्पादन जारी रखा है... बता दें कि रूस प्रतिदिन 47 लाख बैरल क्रूड ऑयल प्रोड्यूस करता है...और इसका 50 फीसदी यूरोप को निर्यात करता है.. बताया जा रहा है कि यूरोपीय देश दिसंबर तक रूस से क्रूड ऑयल इम्पोर्ट करते रहेंगे... जिसकी वजह से खाड़ी देशों पर कम दबाव होगा और रेट भी स्थिर बने रहेंगे.
आपको बता दें रूस-यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने से पहले क्रूड ऑयल 90 डालर प्रति बैरल के आस-पास बिक रहा था, लेकिन जंग शुरु होने के बाद इसकी कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई और क्रूड ऑयल 130 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया.. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के रेट बढ़ने से भारत में भी तेजी से डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने शुरू हुए... जिसका सीधा असर ट्रांसपोर्टेशन और किराए पर हुआ... ट्रांसपोर्टेशन महंगा हुआ तो खाद्य पदार्थ भी महंगे हुए... अब अगर कच्चे तेल की कीमत वापस 90 डालर प्रति बैरल पर पहुंचती है तो पूरी संभावना है कि भारत में पेट्रोल-डीजल आपूर्ति करने वाली कंपनियां रेट में कटौती करेंगी... लेकिन हमारे देश में डीजल-पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारें तमाम तरह की ड्यूटी और सरचार्ज लगाती हैं... जिसके चलते पेट्रोलियम पदार्थों के दाम गिरने की संभावना कम ही दिखाई दे रही है... हां अगर केंद्र और राज्य सरकारें एक्साइज ड्यूटी, वैट या सरचार्ज में कुछ कटौती करती हैं ... तो बेशक जनता को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी...साथ ही देश में बढ़ती महंगाई भी कुछ हद तक कंट्रोल की जा सकेगी... हमारी इस खबर पर आपकी क्या राय है.. कमेंट करके हमे जरूर बताएं...बाकी देश और दुनिया की तमाम मुश्किल खबरों को आसान भाषा में समझने के लिए सब्सक्राइब करें हमारे डिजिटल चैनन KNOW THIS.