DRDO ने 23 मार्च 2022 यानी बुधवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। अधिकारियों के अनुसार बढ़ी हुई रेंज की इस मिसाइल ने टारगेट पर सटीक निशाना लगाया। तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी हर जरूरी बात बताएँगे साथ ही बताएंगे कि क्रूज, सुपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों में क्या अंतर होता है/ बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथं
सबसे पहले आपको बताते हैं कि क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल में क्या अंतर है?
क्रूज मिसाइल एक तरह की मानवरहित सेल्फ गाइडेड मिसाइल है, ये मिसाइल तेज रफ्तार विमानों की तरह जमीन काफी करीब उड़ान भरती हैं. इसके लिए उनके नेविगेशन सिस्टम में रास्ते की निशानदेही फीड की जाती है. इसलिए ही इन्हें क्रूज मिसाइल का नाम दिया गया है. ये जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं. इनकी स्पीड बहुत तेज होती है..क्रूज मिसाइल जमीन से काफी कम, महज 10 मीटर की, ऊंचाई पर ही उड़ान भरती है. क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलती हैं और उनका निशाना एकदम सटीक होता है. ये कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती हैं. इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।क्रूज मिसाइल आकार में बैलेस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं और उन पर हल्के वजन वाले बम ले जाए जाते हैं. क्रूज मिसाइलों का यूज पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है.
बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है.
बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर रिर्सोसेज युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष नामक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.
बैलिस्टिक मिसाइलें साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। ये मिसाइलें क्रूज की तुलना में ज्यादा भारी वजन वाले बम ले जा सकती हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलती। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है।इन मिसाइलों को छोड़े जाने के बाद उनका रास्ता नहीं बदला जा सकता है।
बैलिस्टिक मिसाइलों का यूज आमतौर पर परमाणु बमों को ले जाने के लिए होता है, हालांकि इसने पारंपरिक हथियार भी ले जाए जा सकते हैं।
अब आपको ब्रह्मोस की ताकत के बारे में बताते हैं..
ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है.