Precaution Shot की घोषणा के बाद अब भारत उन 120 से ज्यादा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां कोविड वैक्सीन का तीसरा शॉट देने की योजना बनाई गई है या देना शुरू कर दिया गया है. फिलहाल भारत में ये शॉट 60 साल से ज्यादा के उम्र के लोगों और फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर को दी जाएगी. आज इस वीडियो में हम वैक्सीन इम्यूनिटी के बारे में बात करेंगे. किसी वैक्सीन का असर कब खत्म होता है.... तीसरी डोज क्यों जरूरी है... तीसरी डोज से पहले कितना गैप होना चाहिए... क्या तीसरा शॉट अलग वैक्सीन का होना चाहिए...
तीसरी डोज से पहले कितना गैप?
दुनियाभर के कम से कम 126 देशों ने बूस्टर डोज को लेकर सिफारिशें जारी की हैं और लगभग 120 देशों में बूस्टर डोज लगाई जा रही है. कहा जा रहा है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी और तीसरी खुराक के बीच 9 से 12 महीने का अंतर होने की संभावना है. बता दें भारत की 61 फीसदी से ज्यादा वयस्क आबादी ने टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं और लगभग 90 प्रतिशत को पहली खुराक दी जा चुकी है.
वैक्सीन का असर कब खत्म होता है?
WHO का कहना है कि नए डेटा के मुताबिक समय के साथ कोरोना के खिलाफ वैक्सीन के असर में गिरावट देखी गई है. वहीं बुजुर्गों में टीके की प्रभावशीलता में ज्यादा गिरावट देखने को मिली. WHO द्वारा अप्रूव्ड चार वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना, कोविशील्ड और जॉनसन एंड जॉनसन के डेटा के मुताबिक गंभीर कोविड-19 वायरस के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता 6 महीने में लगभग 8 फीसदी कम हो गई.
तीसरा शॉट के लिए कौन सी वैक्सीन सही?
WHO का कहना है कि दोनों homologous और heterologous बूस्टर इम्यूनिटी के लिहाज से असरदार हैं. होमोलॉगस यानि उसी टीके की तीसरी खुराक जिसका इस्तेमाल पहली दो खुराक के लिए किया गया था जबकि एक heterologous बूस्टर का मतलब है कि पहली सीरीज में इस्तेमाल की गई वैक्सीन से अलग कोई और वैक्सीन. भारत सरकार फिलहाल इस पर विचार कर रही है कि बूस्टर डोज के लिए किस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा.
बूस्टर डोज क्यों जरूरी?
पहली डोज के साथ immune system को वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार किया जाता है. वहीं बूस्टर शॉट्स शरीर के immune system को उसी वायरस के बारे में याद दिलाने के लिए दिए जाते हैं. यह immune system इंप्रूव कर उसे बूस्ट देता है. बूस्टर शॉट तब दिया जाता है जब किसी व्यक्ति ने अपनी वैक्सीन की सीरीज पूरी कर ली हो.
नई वैक्सीन की कितनी जरूरत ?
मूल स्ट्रेन की तुलना में ओमिक्रोन में 50 से ज्यादा म्यूटेशन हैं... इसमें से 30 से ज्यादा स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र में हैं. यानि ये उन एंटीबॉडी से बचने की क्षमता रखता है जो पहले के वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन द्वारा डिजाइन किए गए थे. इस प्रतिरोधक क्षमता के घटने से उन लोगों में दोबारा संक्रमण हो जाता है, जिन्हें टीका लगाया गया है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसा कहा जाना गलत है कि महामारी की शुरूआत में बनी वैक्सीन सबसे बेस्ट हैं. अब नए टीकों पर ध्यान देने की जरूरत है जो नए वेरिएंट से लड़ सकें या वो जो सभी वैरिएंट के खिलाफ एक universal vaccine के रूप में काम कर सकें.