मोमोज के शौकीन लोगों के लिए पिछले दिनों एक बुरी खबरआई खबर थी कि कुछ दिन पहले दिल्ली के एक व्यक्ति की मोमोज खाने से मौत हो गई जिसके बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक एडवाइजरी जारी की है.. जिसमें मोमोज खाने से जुड़ी सावधानियां बतायी गयीं हैं.. दरअसल मोमोज बड़ों से लेकर बच्चों तक की पसंद हैं,. ओवन में स्टीम हो रहे नरम-नरम मोमोज जब चटनी के साथ सर्व किये जाते हैं तो उन्हें खाने से खुद को रोकना किसी challange से कम नहीं होता।। और फिर हम बिना देर किए उन गर्मा-गरम मोमज को एन्जॉय करते हैं...लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि मोमो का इतिहास क्या है? अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं क्योंकि आज के know this वीडियो में हम आपको मोमो के इतिहास ससे जुड़ी हर जरूरी जानकारी देंगे बताएंगे कि इसकी कब-कैसे और कहां से शुरुआत हुई? और इसका भारत आने का क्या किस्सा है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
मोमो एक चाइनीज शब्द है, जिसका मतलब है भाप में पकी हुई रोटी। दरअसल मोमोज अरुणाचल प्रदेश के मोनपा और शेरदुकपेन जनजाति के खानपान का एक अहम हिस्सा हैं। यह जगह तिब्बत बॉर्डर से बिल्कुल लगी हुई है। इस जगह पर मोमोज को पोर्क और सरसों की पत्तियों व अन्य हरी सब्जियों की फिलिंग से तैयार किया जाता है।
मोमो के इतिहास की बात करें तो मोमोज का इतिहास काफी पुराना है और ये बहुत सारे देशों से होते हुए ही भारत पहुंचा। करीब 14वीं शताब्दी में सबसे पहले मोमोज बना था.. लेकिन नेपाल और तिब्बत दोनों को ही इसका जन्मस्थान माना जाता है.. दरअसल, इस बारे में दोने ही देश अपना दावा करते हैं, लेकिन भारत आने के बाद भारत के स्वाद के हिसाब से ही इसे बनाया जाने लगा.. माना जाता है कि 1960 में जब बड़ी संख्या में तिब्बती भारत आए और देश के कई हिस्सों में बस गए. जिसमें लद्दाख, दार्जिलिंग, धर्मशाला, सिक्किम और दिल्ली शामिल हैं साथ ही मोमोज की सबसे ज्यादा वैराइटी और पसंद करने वाले लोग भी इन जगहों पर मिल जाएंगे। वहीं मोमोज के भारत आने की एक और कहानी है जिसमें कहा जाता है कि काठमांडू से आने वाले किसी दुकानदार ने तिब्बत की इस रेसिपी को अपने व्यापार के दौरान भारत पहुंचाया था. है;हालांकि मोमो के इतिहास को लेकर कई तरह के मत हैं..
बता दें कि सबसे पहले मोमोज को मीट से बनाकर तैयार किया जाता था. खासतौर पर याक के मीट से. लेकिन जब ये तिब्बत के पहाड़ों से उतरकर नॉर्थ इंडिया की तरफ आया तो इसे स्वाद के हिसाब से सब्जियों की फिलिंग भरकर बनाया जाने लगा. वैसे सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और असम में मोमोज की कई सारी अलग वैराइटी मिल जांएगी।
वहीं चीन में मोमोज को डिमसिम या डंपलिंग के नाम से जाना जाता है. यहां पर इसकी फिलिंग बीफ या पॉर्क के मीट से की जाती है. वहीं कुछ इलाकों में हरी सब्जियों से भी इसकी फिलिंग की जाती है.
आज के समय में मोमोज को कई नए रूप दे दिए गए हैं जो लोगों को पसंद आ रहे हैं। मोमोज को तल कर और भून कर खाने के अलावा अब तंदूरी मोमोज भी बनाए जा रहे हैं.. ये खाने में काफी लजीज लगते हैं. आज कल तो चॉकलेट मोमोज भी बाजार में उपलब्ध है.
आखिर में आपको बता दें कि मोमोज को लेकर AIIMS ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि कैसे दिल्ली के 50 वर्षीय व्यक्ति की मोमोज खाने से मौत हुई है. उसकी मेडिकल जांच रिपोर्ट में सामने आया कि कैसे उसके सांस नली में जाकर एक मोमो फंस गया था और उसकी मौत हो गई. मोमो के फंसने से व्यक्ति का दम घुटने लगा और न्यूरोजेनिक कार्डिएक अरेस्ट (Neurogenic cardiac arrest) आने की वजह से उसकी मौत हो गई.
एम्स ने एडवायजरी जारी करते हुए कहा कि हमेशा मोमोज को चबाकर ही खाएं और सावधानी से निगलें नहीं तो यह बहुत बड़ी परेशान बन सकता है.