PM मोदी ने शनिवार को वैक्सीनेशन के अगले चरण का जिक्र करते हुए बताया कि अब देश में सभी फ्रंट लाइन कोरोना योद्धाओं को प्रीकॉशन डोज लगाई जाएगी. इसके अलावा 60 साल से ज्यादा उम्र के कोमोरबिडिटी वाले मरीजों के लिए भी प्रीकॉशन डोज उपलब्ध होने का ऐलान किया. माना जा रहा है कि ये प्रीकॉशन डोज बूस्टर डोज के तौर पर काम करेगी. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको बूस्टर डोज से जुड़ी जरूरी जानकारी देंगे. बूस्टर डोज क्या है... इसकी जरूरत क्यों पड़ती है... भारत में इसको लेकर क्या स्थिति है... किन लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है. इन सभी सवालों के जवाब के लिए वीडियो के एंड तक जुड़े रहिए हमारे साथ.
बूस्टर डोज क्या है ?
किसी vaccine की डोज देने के बाद टीके की एक एक्स्ट्रा खुराक को बूस्टर डोज कहा जाता है. ये बूस्टर हफ्तों, महीनों या सालों बाद दी जा सकती है. पहली डोज के साथ immune system को वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार किया जाता है. वहीं बूस्टर शॉट्स शरीर के immune system को उसी वायरस के बारे में याद दिलाने के लिए दिए जाते हैं. यह immune system इंप्रूव कर उसे बूस्ट देता है. बूस्टर शॉट तब दिया जाता है जब किसी व्यक्ति ने अपनी वैक्सीन की सीरीज पूरी कर ली हो.
भारत में कब लगेगी बूस्टर डोज ?
पीएम मोदी ने बताया कि 60 साल से ऊपर की उम्र के गंभीर बीमारी से ग्रसित नागरिकों के लिए डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन की प्रीकॉशन डोज का ऑप्शन 10 जनवरी से उपलब्ध होगा. वैक्सीन की डोज लेने के इच्छुक बुजुर्गों को पहले मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना होगा जिसमें इस बात की पुष्टि होगी कि वे किसी गंभीर बीमारी होने के कारण कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा 10 जनवरी से ही फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी प्री-कॉशन डोज देने की घोषणा PM मोदी ने की थी.
WHO ने क्या कहा ?
बता दें WHO बूस्टर शॉट को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है. WHO प्रमुख ने चेतावनी दी है कि अमीर देशों में धड़ल्ले से वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाए जाने से महामारी के लंबे समय तक रहने की संभावना बनेगी. उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक वैक्सीन असमानता बढ़ेगी और कोई भी देश इस तरीके से महामारी की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाएगा.
एक्सपर्ट्स की क्या राय है?
हाल ही में UK की एक रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि ओमिक्रॉन के गंभीर मामलों में बूस्टर डोज 80% तक इफेक्टिव है. हाल ही में मॉडर्ना ने कहा है कि बूस्टर डोज से 83 फीसदी इम्यूनिटी बढ़ सकती है. इसके अलावा इजराइल की एक स्टडी में सामने आया कि वैक्सीन की बूस्टर डोज हॉस्पिटलाइजेशन रोकने में 93 फीसदी कारगर है.