कैसे स्थापित होगी Goddess Annapurna की मूर्ति ?
मां अन्नपूर्णा की मूर्ति यूपी के जौनपुर से एक रथयात्रा के साथ वाराणसी आएगी. वाराणसी आने पर इसे शहर के प्रमुख मंदिरों में भ्रमण करवाकर काशी विश्वनाथ मंदिर में लाया जाना है. इसके बाद मंदिर परिसर के ईशान कोण में मां अन्नपूर्णा की इस मूर्ति को स्थापित किया जाएगा. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे लेकर व्यक्तिगत तौर पर मन की बात कार्यक्रम में अपनी रूचि दिखाई थी. वहीं 15 नवंबर को सीएम योगी मूर्ति को रिसीव करने बाद प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. मंदिर परिसर में साधु, संत और महात्माओं द्वारा मूर्ति का विधि-विधान से पूजन भी किया जाएगा. काशी में मूर्ति को लेकर काफी पुरानी मान्यता है, क्या है ये मान्यता चलिए आपको बताते हैं (VO)
काशी में मां अन्नपूर्णा को लेकर क्या मान्यता है? (GFX)
मान्यता है कि शिव की नगरी काशी में मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में विराजमान हैं और उन्होंने खुद भगवान भोले को भिक्षा दी थी. तभी से मिले वरदान के तहत माना जाता है कि काशी में कोई भी इंसान भूखा नहीं सो सकता. क्योंकि उसका पेट खुद मां अन्नपूर्णा भरती हैं. इतनी बड़ी मान्यता को अब और मजबूती मिलने जा रही है क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के ईशान कोण में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापित होने जा रही है.
चलिए अब जानते हैं मूर्ति भारत से कनाडा आखिर पहुंची कैसे?
मूर्ति को किसने और कैसे चुराया गया?
बताया जाता है साल 1913 में कनाडा के एक लॉयर नॉर्मन मैकेंज़ी ने भारत की यात्रा की थी. पहली नजर में ही मैकेंजी को मूल रूप से वाराणसी की ये मूर्ति भा गई और उसने इसे कनाडा ले जाने का फैसला कर लिया. इसके बाद मैकंजी ने वाराणसी में नदी के किनारे बने एक मंदिर से मूर्ति को चुरा लिया था. साल 1936 में मैकेंजी ने मूर्ति की वसीयत अपने नाम पर करवा ली और मूर्ति को ले जाकर मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना यूनिवर्सिटी के कलेक्शन में रखवा दिया.