महंगाई की चौतरफा मार के बीच केंद्र सरकार अब जनता को राहत वाला बूस्टर डोज देने की तैयारी में है। तभी तो पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद अब खाद्य तेलों को कस्टम ड्यूटी फ्री करने करने का ऐलान किया है। सरकार के इस फैसले से महंगाई की मार झेल रही जनता को थोड़ी राहत मिलने के आसार हैं। साथ ही घरेलू बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में भी थोड़ी गिरावट दर्ज होनी की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय की तरफ से 24 मई को जारी अधिसूचना के मुताबिक। सालाना 20 लाख मीट्रिक टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा। इसका मतलब है अब इन तेलों पर लगने वाली 5।5 फीसदी कस्टम ड्यूटी और एग्रीकल्चर सेस जीरो कर दिया गया है। बता दें सरकार ने ये छूट आने वाले 2 सालों के लिए दी है। यानि 31 मार्च 2024 तक कुल 40 लाख मीट्रिक टन कस्टम ड्यूटी फ्री खाद्य तेल खरीदा जा सकेगा। अनुमान के मुताबिक सरकार के इस फैसले से सोयाबीन तेल के दाम 3 रुपये प्रति लीटर तक नीचे आ जाएंगे।
गौरतलब है कि सरकार ने तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क यानि एक्साइज ड्यूटी घटाई थी।। साथ ही इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर लगना वाली कस्टम ड्यूटी भी हटाने का फैसला लिया था… सरकार का मानना है खाद्य तेलों को कस्टम ड्यूटी फ्री करने से घरेलू कीमतों में नरमी आएगी और मुद्रास्फीति यानि Inflation को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘इस कदम से महंगाई पर अंकुश लगेगा। आम आदमी को राहत मिलेगी। बता दें भारत अपनी जरूरत का 60% खाद्य तेल आयात करता है। कुछ हफ्तों पहले इंडोनेशिया ने पाम ऑयल का निर्यात बंद करने का फैसला किया था। जिसका असर खाद्य तेलों के दाम के साथ-साथ कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स पर भी पड़ा। बता दें कि महंगाई में खाद्य तेल की प्रमुख भागीदारी है। पिछले तीन महीनों से खाद्य तेल के खुदरा दाम में 15% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। उधर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात बंद है। जिससे घरेलू बाजार में तेल के दाम लगभग दोगुना हो गए हैं। इस साल सरसों उत्पादन कम होने की वजह से फिलहाल सरसों के तेल में राहत मिलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस साल चीनी का एक्सपोर्ट सीमित किया जा सकता है ताकि चीनी के दाम बढ़ने से रोके जा सकें। साथ ही सरकार कपड़ों की कीमत नियंत्रित करने के लिए कॉटन पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी हटाई जा सकती है।