भारत सरकार अब सेनाओं और सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए नई प्रक्रिया लाने जा रही है। इस प्रक्रिया को 'टूर ऑफ ड्यूटी' नाम दिया गया है। तीनों सेना प्रमुख पीएम मोदी को इस योजना का प्रेजेंटेशन भी दे चुके हैं। बता दें कि केंद्र सरकार लंबे वक्त से सेना में सुधारों को लेकर बदलाव करना चाहती थी। जिसके लिए तीनों सेना प्रमुखों को रूपरेखा तैयार करने को कहा गया गया था। खबर है कि अगले हफ्ते तक केंद्र सरकार इस योजना को तीनों सेनाओं में लागू करने का ऐलान कर सकती है।
अब बात की जाए ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ की तो इसका नाम ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना रखा जा सकता है और इसमें शामिल जवान अग्निवीर कहलाएंगे। इस योजना के तहत तीनों सेनाओं- आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए जाएंगे। इस योजना के तहत युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। भर्ती किए गए सैनिक 4 साल तक सेना में सेवा देंगे। उसके बाद इन्हे सेवामुक्त कर दिया जाएगा। इस योजना के तहत एक साल के अंदर 6 महीने के अंतराल में दो बार तीनों सेनाओं में ऑफिसर रैंक से नीचे 45 से 50 हजार जवानों की भर्ती की जानी है।
भर्ती के लिए साढ़े 17 से 21 साल के उम्मीदवार ही आवेदन कर सकेंगे।और मौजूदा मानदंडों के तहत उनकी भर्तियां की जाएगी। सफल होने वाले युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। उसके बाद बाकी वक्त सेना में बिताना होगा। नई योजना के तहत शुरुआती वेतन 30 हजार रुपए होगा, जो 4 साल तक सेवा पूरी होने तक 40 हजार हो जाएगा। वेतन का 30 फीसदी बचत के तौर पर रखा जाएगा। इतनी ही राशि सरकारी सेवानिधि योजना के तहत मिल जाएगी। यानि 4 साल तक सेवा पूरी करने के बाद एक जवान को 10 से 12 लाख रुपए की कुल राशि दी जाएगी, जो पूरी तरह टैक्स फ्री होगी।
ट्रेनिंग और सेवा पूरी हो जाने के बाद जवानों को सर्टिफिकेट्स और डिप्लोमा दिए जाएंगे। जिसका इस्तेमाल वो आगे की शिक्षा में कर सकते हैं। साथ ही ये सर्टिफिकेट्स आगे किसी संस्थान में नौकरी दिलाने में भी मदद करेंगे। सेवा के दौरान कोई सैनिक शहीद होता है तो उसके परिजनों को 45 से 50 लाख रुपए की मदद केंद्र सरकार करेगी।
बता दें कि पीएम मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसके जरिए सेना में शामिल हो रहे जवानों की औसत उम्र कम करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही पेंशन समेत रक्षा बलों के खर्चे में कमी लाई जाएगी। लेकिन इस बदलाव को लेकर सरकार के समाने कई तरह की चुनौतियां भी हैं। जैसे, क्या 6 महीने की ट्रेनिंग और 4 साल की सर्विस उन कठिन ऑपरेशन्स के लिए पर्याप्त होगी, जिसका हिस्सा इन सैनिकों को बनना पड़ सकता है। क्योंकि एक रेगुलर सैनिक को कई बार अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। ताकि वो हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ सके।
खैर जो भी हो, सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। और उम्मीद जताई जा रही है कि नई व्यवस्था से सशस्त्र बलों से जुड़े कई मुद्दों का समाधान होगा। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में जाने की चाहत रखने वाले लाखों युवाओं को राहत मिलेगी। क्योंकि बीते 2 सालों में सेना में भर्ती ना के बराबर हुई है। 28 मार्च को संसद में पेश किया गया रक्षा मंत्रालय का डेटा बताता है कि सेना में अन्य रैंक्स के जूनियर कमिश्नन्ड ऑफिसर के एक लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। 2017, 2018 और 2019 में 90 से ज्यादा भर्तियां निकाली गईं। लेकिन कोरोना महामारी के चलते 2020-2021 में 47 और 2021-2022 केवल 4 भर्तियां निकाली गईं।