इन दिनों दिल्ली में गणतंत्र दिवस की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं . गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ से गुजरने वाली झांकियों को फाइनल करने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन इसे लेकर विवाद भी सामने आया है. इस बार राजपथ में पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु की झांकी नहीं दिखेंगी. झांकियों को फाइनल करने वाली समिति ने इन राज्यों की झांकी को खारिज कर दिया है. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर गणतंत्र दिवस की परेड में दिखने वाली झांकियों को पास कौन करता है? और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या होती है? बस आप वीडियो एक आखिर तक बने रहिए हमारे साथ...
कब शुरू होती है इसकी प्रक्रिया
झांकियों के लिए सिलेक्शन कमेटी होती है. इसमें रक्षा मंत्रालय, कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला, आदि से जुड़े लोग होते हैं, अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में झांकियों को शॉर्ट लिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू होती है. समिति सबसे पहले प्रस्तावित झांकी के स्केच या डिजाइन की जांच करती है. यहां कोई सुझाव होता है तो वो भी बताया जाता है. ध्यान रखा जाता है कि डिजाइन बेहद सरल रंगीन और आसानी से समझ में आने वाला हो. फिर उसका 3डी डाइमेंशनल मॉडल मंगाया जाता है. फिर प्रस्तावकों और समिति की मीटिंग होती है, अगर कोई प्रस्ताव मीटिंग में नहीं पहुंचता तो भी प्रस्ताव खारिज हो जाता है. कुल मिलाकर रक्षा मंत्रालय की समिति इन झांकियों को मंजूरी या फिर खारिज करती है.
झांकी के लिए ये होती हैं शर्तें
गणतंत्र दिवस की झांकी के लिए शर्त होती है कि झांकी गणतंत्र दिवस की थीम के साथ उस राज्य की विशेषता दर्शानी चाहिए, जिस राज्य की वो झांकी है. इस साल आजादी के 75 साल पूरे होने का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और गणतंत्र दिवस की थीम भी यही रखी गई है. साथ ही दो राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों की झांकी में समानता नहीं होनी चाहिए. साथ ही झांकी के मकसद, विचार, जनता पर पड़ने वाले असर को भी ध्यान में रखा जाता है.
क्या है विवाद?
दरअसल गणतंत्र दिवस के लिए बंगाल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान से जुड़ी झांकी प्रस्तुत करना चाहता था लेकिन इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली. इसपर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हैरानी जताई और पीएम मोदी को पत्र लिखा. जिसपर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है. इसमें केंद्र सरकार ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है. ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अविस्मरणीय है. इसलिए पीएम मोदी ने 23 जनवरी को उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है. हर साल गणतंत्र दिवस समारोह अब चौबीस के बजाए उनकी जयंती यानी 23 जनवरी से शुरु होगी.