पार्लियामेंट के विंटर सेशन की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान सदन में कई बिल पेश किए जाएंगे. कई नए कानून पर संसद की मुहर लगेगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोई बिल कानून कैसे बन जाता है. बिल के कानून बनने की प्रक्रिया क्या होती है. बिल कौन पेश करता है. और इसमें कितना समय लगता है. इस वीडियो में हम इन्हीं सवालों के जवाब आपके सामने रखेंगे.
कौन पेश करता है बिल?
संसद में किसी भी कानून को पारित करने के लिए लोकसभा या राज्यसभा में बिल पेश करना होता है. Parliament का कोई भी सदस्य बिल पेश कर सकता है. अगर कोई union minister बिल पेश करता है तो उसे सरकारी विधेयक या Government Bill माना जाता है और अगर कोई MP किसी बिल का प्रस्ताव करता है तो इसे निजी सदस्य विधेयक या Private Member’s Bill कहा जाता है.
बिल से कानून बनने की क्या प्रक्रिया?
किसी बिल को कानून बनने के लिए संसद के दोनों सदनों में तीन स्टेप्स से गुजरना पड़ता है जिसे readings कहा जाता है. तीन स्टेप्स यानी फर्स्ट रीडिंग, सेकंड रीडिंग और थर्ड रीडिंग. 'फर्स्ट रीडिंग' में सदन में बिल पेश करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव दिया जाता है. प्रपोजल को मंजूरी मिलने पर बिल को सदन में पेश किया जाता है. किसी भी बिल का दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित होना जरूरी है. इसलिए एक सदन से पारित होने के बाद उसे दूसरे सदन में भी पेश किया जाता है. दूसरे हाउस में भी बिल की 'फर्स्ट रीडिंग' ही होगी.
1993 में विभागीय रूप से बनी Standing Committees की स्थापना हुई जिसके बाद से लगभग सभी बिल को जांच और रिपोर्ट के लिए तीन महीने के लिए इन Committees के पास भेजा जाता है.
सेकंड रीडिंग कमिटी द्वारा रिपोर्ट मिलने पर शुरू होती है. इसमें सदन तय करता है कि बिल को कंसिडर करना है या नहीं, क्या उसे सदन की Select Committee या दोनों सदनों की Joint Committee के पास भेजा जाए. बिल पर सबकी राय ला जाती है.
इसके बाद हर क्लॉज को पढ़कर बिल में संशोधन पेश किया जाता है और वोटिंग की जाती है.
इसके बाद बारी होती है तीसरी रीडिंग की - जिसमें ये तय होता है कि क्या बिल को सदन द्वारा पारित किया जा सकता है. इस स्टेज पर संसद में होने वाली बहस में बिल के पक्ष या विपक्ष में सीधी दलीलें दी जाती हैं. और अगर बिल दोनों सदनों द्वारा पास हो जाता है तो इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज दिया जाता है.
अब राष्ट्रपति या तो इसे मंजूरी दे सकते हैं या इसे विचार के लिए रख सकते हैं या विधेयक वापस कर संसद को दोबारा इस पर विचार के लिए कह सकते हैं. अगर लौटाया गया कोई बिल फिर से दोनों सदनों में पारित किया जाता है तो राष्ट्रपति को उसे मंजूरी देनी होती है. 2017 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि संसद से पास होने और राष्ट्रपति के accept करने के बाद बिल को प्रभावी रूप से कानून बनने में औसतन 261 दिन लगते हैं.
मनी बिल्स की क्या प्रक्रिया?
मनी बिल्स को केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है. और किसी भी असहमति के मामले में स्पीकर का फैसला मान्य होता है. लोकसभा से पास होने पर मनी बिल राज्यसभा में पहुंचता है और उसे 14 दिनों के अंदर इसे वापस करना होता है. राज्यसभा की किसी सिफारिश को accept करना या ना करना लोकसभा पर निर्भर है और अगर राज्यसभा 14 दिनों में बिल वापस नहीं करती है तो इसे दोनों सदनों द्वारा पास माना जाता है.