कहते हैं ‘Necessity Is Mother Of Invention यानि ‘आवश्यक्ता अविष्कार की जननी’ होती है... इस कहावत का एक-एक शब्द सच है... जब जिंदा रहने के लिए कोई चीज जरूरी हो जाती है तो इंसान उसे पाने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुट जाता है... इतिहास गवाह है हर नए अविष्कार यानि इन्वेंशन के पीछे आवश्यक्ता जरूर थी। जब किसी चीज की क्राइसिस होती है तभी क्रांति की शुरुआत भी होती है... तो आज के इस KNOW THIS वीडियो में हम बात करेंगे खाद्यान्न क्षेत्र से जुड़ी क्रांतियों के बारे में... हम आपको बताएंगे क्रांति का रंगों से क्या कनेक्शन है... साथ ही इन रिवॉल्यूशन की वजह से उत्पादन में कितनी बढ़ोतरी हुई?... और इन तमाम क्रांतियों का सूत्रधार यानि जनक कौन थे ?... तो इस वीडियो में आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
आजादी के बाद हमारे देश में खाद्यान्न का संकट गहराता जा रहा था, उन दिनों अमेरिका से गेहूं आयात किया जाता था... देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की तमाम कोशिशें जारी थी। ऐसे में तत्कालीन कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम को ख़बर मिली की... अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग ने मेक्सिको में एक उन्नत किस्म का गेहूं विकसित किया है... तो हमारी सरकार ने मेक्सिको से 18 हजार टन गेहूं मंगवाया... इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में कई और बड़े कदम उठाए... जैसे कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों को प्रशिक्षण दिया गया... सिंचाई के लिए नहरों, तालाबों और कुओं की संख्या बढ़ाई गई... साथ ही किसानों को अनाज के दाम की गारंटी यानि MSP देने का ऐलान किया गया... जिसका नतीजा ये रहा कि देशभर में अनाज का उत्पादन तेजी से बढ़ने लगा... इस तरह हमारे देश में हरित क्रांति का आगाज हुआ... लेकिन हरित क्रांति का जनक अमेरिकी कृषि विज्ञानी नॉर्मन ई बोरलॉग को माना जाता है... इन्होंने 13 साल के रिसर्च के बाद गेहूं की एक ऐसी उन्नत किस्म तैयार की जिसकी पैदावार ज्यादा थी...लेकिन भारत में एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है...इन्होंने गेहूं की उन्नत किस्म HYV तैयार की जिससे देश में गेहूं उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई... स्वामीनाथन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक भी थे.
आजादी के बाद से हमारा देश दूध उत्पादन और डेयरी पदार्थों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था... 70 के दशक में डॉ. वर्गीज कुरियन ने ऑपरेशन फ्लड चलाया जो देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने में काफी मददगार रहा... इस तरह देश में श्वेत क्रांति का आगाज हुआ और डॉ. वर्गीज कुरियन फादर ऑफ व्हाइट रिवॉल्यूशन कहलाए... दूध और डेयरी प्रोडक्ट का उत्पादन बढ़ाने में AMUL (आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड) का भी बड़ा योगदान रहा धीरे-धीरे अमूल देश का चहीता और सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड बन गया... इन दिनों अमूल 24.5 मिलियन लीटर से ज्यादा दूध का कलेक्शन करता है... वर्गीज कुरियन ने खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया और 1979 में ‘धारा’ लॉन्च कर खाद्य तेलों के व्यवसाय में क्रांति ला दी.
इसी तरह देश में मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन की शुरुआत हुई... केंद्र सरकार ने 1985 से 1990 के बीच 7वीं पंचवर्षीय योजना में मछली उत्पादन पर जोर दिया और फिश फार्मर्स डेवलेपमेंट एजेंसी (FFDA) का गठन किया... सरकार की इस पहल से मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा मिला और मछुआरों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई... चूंकि मछली का कनेक्शन समुद्र और नदियों से है.. इसलिए इसे ‘ब्लू रिवॉल्यूशन’ नाम दिया गया...
इसी तरह कॉटन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सिल्वर रिवॉल्यूशन, तिलहल का उत्पादन बढ़ाने के लिए येलो रिवॉल्यूशन, मांस का उत्पादन बढ़ाने के लिए रेड रिवॉल्यूशन और उर्वरक (फर्टिलाइजर) उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रे रिवॉल्यूशन की शुरुआत हुई... जिसकी वजह से उत्पादन में कई गुना की बढ़ोतरी हुई.. साथ ही साथ दूसरे देशों पर निर्भरता कम हुई.. यानि इन वस्तुओं के आयात में कमी आई.. आज हमारा देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ता जा रहा है इसमें इन रिवॉल्यूशन का अहम योगदान है..