भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर खुल चुका है. हाल ही में लगभग 500 से ज्यादा भारतीय तीर्थयात्रियों का पहला जत्था करतारपुर साहिब गुरुद्वारे पहुंचा. करतारपुर साहिब को सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है.आज इस वीडियो में हम आपको करतारपुर साहिब के बारे में सब कुछ बताएंगे. करतारपुर कॉरिडोर क्या है... सिखों के लिए करतारपुर साहिब का क्या महत्तव है... इसकी क्या खासियत है... इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के बारे में भी जानेंगे..
क्यों खास है करतारपुर साहिब?
करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. ये पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है. माना जाता है कि ये पहला ऐसा गुरुद्वारा है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी और यहीं पर उन्होंने अपने जीवन के अंतिम साल बिताए थे. गुरु नानक 1520 और 1522 के बीच इस शहर में आए थे. माना जाता है कि गुरु नानक ने इस जगह को करतारपुर नाम दिया और अपने माता-पिता, पत्नी माता सुलखनी और दो बेटों, श्री चंद और लक्ष्मी चंद के साथ यहां रहने लगे. गुरु नानक का मानना था कि मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य- ज्ञान प्राप्ति या ईश्वर के साथ मिलन की स्थिति है. 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं. इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है. हालांकि बाद में ये रावी नदी में बाढ़ के चलते बह गया था. इसके बाद महाराजा रंजीत सिंह ने नए गुरुद्वारे का निर्माण करवाया था. वर्तमान संरचना का निर्माण 1925 में पटियाला के महाराजा और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दादा भूपिंदर सिंह ने करवाया था.
क्या है ऐतिहासिक महत्व ?
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान ये गुरुद्वारा पाकिस्तान में चला गया था. इसके चलते भारत के नागरिकों को करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए वीजा की जरुरत होती थी. दशकों तक, भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ एक किलोमीटर दूर होने के बावजूद, भक्तों को 125 किमी की यात्रा करके, गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए लाहौर की यात्रा करनी पड़ती थी. जो लोग पाकिस्तान नहीं जा पाते थे वो यहीं से दूरबीन की मदद से दर्शन करते थे. 2008 में, डेरा बाबा नानक के पास एक ऊंचा मंच बनाया गया था, जिससे तीर्थयात्री पवित्र स्थान को देख सकते थे. फिर साल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर बस यात्रा की और तब पहली बार उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर को बनाने का प्रस्ताव दिया.
क्या है करतारपुर कॉरिडोर?
करतारपुर कॉरिडोर को 'अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव' के कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है. ये भारत के डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के नरोवाल जिले में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोड़ता है. इसकी कुल लंबाई 4.2 किलोमीटर है. इस कॉरिडोर के शुरू होने के बाद भक्त बिना वीजा गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं. करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर 2019 को किया गया. गुरु नानक देव जी के 550वें जयंती पर इस कॉरिडोर को करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए खोला गया. मार्च 2020 में इसे फिर बंद कर दिया गया था.