केंद्र सरकार ने चुनाव सुधार संबंधी विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया जिसे भारी हंगामे के बीच पारित कर दिया गया. बिल को Law and Justice Minister Kiren Rijiju ने पेश किया था. इसमें voter list में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड और वोटर लिस्ट को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है, जिसे लेकर कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध भी किया. तो आज के know this video में हम चुनाव सुधार संबंधी नए बिल से जुड़ी हर जानकारी देंगे साथ ही बताएंगे कि इससे क्या फायदा होगा? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ...
सबसे पहले जानते हैं कि
क्या है चुनाव सुधार का नया बिल?
चुनाव सुधार यानी इलेक्टोरल रिफॉर्म बिल को देश में होने वाले चुनावों में पारदर्शिता और सुधार की गुंजाइश को लेकर लाया गया है. इस बिल का मकसद चुनावों में फर्जीवाड़े को रोकना है. बिल में फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में दोहराव को रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रावधान है. इसके साथ ही वोटर लिस्ट में भी साल में 4 बार नाम दर्ज करवाने का प्रावधान है.
इस बिल में सर्विस वोटर्स के लिए चुनावी कानून को 'जेंडर न्यूट्रल' भी बनाया जाएगा. सर्विस वोटर्स ऐसे वोटरों को कहा जाता है जो अपनी नौकरी के कारण बाहर रहते हैं, जिसके कारण उनके लिए अपने बूथ पर जाकर वोट डालना संभव नहीं हो पाता है. इनमें से कुछ लोगों के लिए विशेष परिस्थितियों में मतदान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. इसमें सेना, सुरक्षाबलों और केंद्रीय सेवा से जुड़े लोग शामिल होते हैं.
नए बिल के बाद अब महिला कर्मचारियों के पति भी सर्विस वोटर में शामिल हो जाएंगे. अभी तक ऐसा नहीं था, पुरुष कर्मचारियों की पत्नी सर्विस वोटर के तहत अपना रजिस्ट्रेशन तो करवा सकती थीं, लेकिन महिला कर्माचारियों के पति ऐसा नहीं कर सकते थे.
इस बिल में तीसरा प्रावधान नए मतदाताओं को अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने को लेकर है. वर्तमान कानून के हिसाब से, एक जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले ही वोटर्स के रूप में registration करा सकते हैं. example के लिए, अगर किसी युवा की उम्र 2 जनवरी 2022 को 18 साल होती है तो वोटर लिस्ट में उसे अपना नाम जुड़वाने के लिए 1 जनवरी 2023 तक इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन नया कानून बनने के बाद वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए मतदाताओं को साल में हर तीन महीने पर एक मौका यानि साल में चार मौके मिलेंगे.
आधार को वोटर आईडी से लिंक कराने की वजह?
दरअसल चुनावों में फर्जी वोटिंग के मामले कई बार सामने आ चुके हैं. इसके अलावा कई लोग वोटर लिस्ट में कई बार अपना नाम दर्ज करवा लेते थे. इससे चुनावों में धांधली होती थी. इन सबको ही रोकने के लिए चुनाव आयोग वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करना चाहता है.
वहीं चुनाव आयोग ने 2015 में वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड को लिंक करने की योजना पर काम शुरू भी कर दिया था लेकिन कुछ ही महीने बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की योजना पर रोक लगा दी.
अब जब सरकार चुनाव सुधार से जुड़ा बिल लेकर आ गयी है जिसके बाद वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक किया जा सकेगा. क्योंकि एक व्यक्ति को एक ही आधार कार्ड जारी होता है, इसलिए इससे फर्जी वोटर कार्ड बनने पर कंट्रोल किया जा सकेगा.