चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे चीन में हलचल बढ़ गई है। भारतीय सेना और DRDO ने 6 जून को अपनी सबसे ताकतवर बैलेस्टिक मिसाइलों में से एक अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण के बाद बीजिंग और इस्लामाबाद दोनों में खलबली मच गई है। अग्नि-4 मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।और इसकी रेंज 4000 किलोमीटर है।यानि इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और आधा चीन आता है। जिसके चलते दुश्मन के खेमे में खलबली मचना स्वाभाविक है।
बता दें कि ये मिसाइल अग्नि सीरीज की चौथी सबसे खतरनाक बैलिस्टिक मिसाइल है। इस मिसाइल को DRDO और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर बनाया है।और इसका परीक्षण भारतीय सेना और DRDO ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर कल शाम साढे 7 बजे किया। इससे पहले इस मिसाइल का परीक्षण दिसंबर 2018 में किया गया था।
अग्नि-4 IRBM यानि इंटरमीडिएट रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल है। इसका मतलब है इस मिसाइल की रेंज ICBM यानि इंटर कॉन्टीनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल से कम है। इसका वजन 17 हजार किलोग्राम है और इसकी लंबाई 66 फीट है। इसमें तीनों तरह के हथियार ले जाए जा सकते हैं, जिनमें पारंपरिक, थर्मोबेरिक और स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर वेपन शामिल हैं। अग्नि-4 मिसाइल की एक्टिव रेंज 3500 से 4000 किलोमीटर बताई जा रही है। ये मिसाइल 900 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीधी उड़ान भर सकती है।
अग्नि-4 मिसाइल को लॉन्च करने के 8x8 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर या फिर रेल मोबाइल लॉन्चर से दागा जाता है। इसका नेविगेशन डिजिटली कंट्रोल किया जा सकता है। इसका एवियोनिक्स सिस्टम इतना भरोसेमंद है कि आप इसे दुश्मन की तरफ बेहद सटीकता से दाग सकते हैं। हमले करते वक्त ये मिसाइल 100 मीटर के दायरे में आने वाली सभी चीजों को खाक में बदल देती है। यानि टारगेट चाहकर भी मिसाइल से दूर नहीं भाग सकता।
बता दें अग्नि-4 मिसाइल का सबसे पहला सफल परीक्षण 15 नवंबर 2011 को किया गया था, उसके बाद अब तक इसके कुल 8 परीक्षण किए जा चुके हैं। ये मिसाइल 1 टन न्यूक्लियर वार हेड ले जाने में सक्षम है, साथ ही ये मिसाइल 3 हजार डिग्री सेल्सियस का तापमान सहते हुए वायुमंडल में प्रवेश कर सकती है यानि भविष्य में इसका उपयोग अंतरिक्ष में हमला करने में किया जा सकता है।
स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ‘ये एक रूटीन ट्रेनिंग लॉन्च थी। जिसमें सारे ऑपरेशनल पैरामीटर्स की फिर से जांच की गई है। भारत इस टेस्टिंग से बताना चाहता है कि वह अपने विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता को बनाए रखेगा।‘
आपको बता दें ये टेस्ट ऐसे वक्त में किया गया है जब भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है। भारत लगातार इस सीमा पर पिछले 2 सालों से अपनी ताकत को बढ़ाता जा रहा है। इन दो सालों में ही लगातार कई मिसाइलों के परीक्षण भी किए गए हैं। पिछले महीने ही सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था। इसके पहले 27 अप्रैल को अंडमान एवं निकोबार कमांड और भारतीय नौसेना ने मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया था। इस तरह के परीक्षण यह बताते हैं कि भारत अपनी विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता की नीति पर चलता रहेगा। भारत दुनिया को बताना चाहता है कि हम पहले हमला नहीं करेंगे, लेकिन किसी ने किया तो छोड़ेंगे भी नहीं।