प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर लगातार बल देते आये हैं जिसका ही परिणाम है कि भारत सरकार ने अब एक ऐतिहासिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है. अब भारत की तीनों सेनाओं को विदेश में बने हथियारों और अन्य साजो-सामान की जरूरत नहीं होगी क्योंकि भारत सरकार ने अब सेनाओं को इससे मुक्ति दिलाने का फैसला कर लिया है. दरअसल होगा कुछ यूं कि अब जिन रक्षा उपकरणों की जरूरत भारत को होगी, उनकी निर्माता कंपनियों को भारत में ही उनका निर्माण करना होगा. उन्हें ये भी छूट होगी कि वो भारत में बनाए गए रक्षा उत्पादों को दूसरे देशों को निर्यात कर सकें.. तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको सरकार के इस फैसले से जुड़ी हर जानकारी देंगे बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
रक्षा खरीद नीति में बदलाव करते हुए ‘बाय-ग्लोबल’ की कैटेगरी खत्म की जाएगी, जिसके तहत विदेश में बने साजो-सामान का आयात होता है. रक्षा मंत्रालय यह कदम ऐसे समय में उठा रहा है, जब भारत में रक्षा उपकरणों का स्वदेशीकरण 68% तक हो चुका है.. नौसेना अपनी 95% जरूरतें देश में ही पूरी कर रही है.
बता दें कि Air Force भी लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टर, परिवहन विमान और ड्रोन का देश में ही उत्पादन करने की इच्छुक है। इससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें बड़े रक्षा सौदों के लिए 30% की ऑफसेट की शर्त में नहीं बंधना होगा। भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान विदेश से सीधे सौदों की समीक्षा कर रहा है। इनमें से 65 हजार करोड़ रुपए की रक्षा खरीदारी के संभावित प्रस्ताव रोक लिए गए हैं। 30 हजार करोड़ रुपए के कुछ अन्य सौदों को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है।
यहाँ ध्यान देने की बात है यूक्रेन रूस के सैन्य टकराव के बाद सरकार ने अपने फैसले में तेजी लाने का काम किया है. विदेशी धरती पर बने साजो-सामान पर निर्भरता के कारण देश के कूटनीतिक विकल्प सीमित होने का अंदेशा रहता है। इतना ही नहीं, दुनिया की बड़ी ताकतें अपने यहां बने हथियार ही इस्तेमाल करती हैं। और तो और, भारत-रूस के joint ventures के तहत बनी ब्रह्मोस मिसाइल तक को रूसी सेना में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि वहां बाहरी देश में बने हथियारों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक है।
ये आत्मनिर्भरता नीति लागू कैसे होगी इसकी बात करें तो रक्षा बजट का पूरा कैपिटल allotmentभारत में खर्च होगा।
भारत में रक्षा सुविधाएं established करने की इच्छुक विदेशी कंपनियों और उनसे साझेदारी करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ की व्यवस्था होगी।
भारतीय कंपनियों की साझेदारी में बने साजो-सामान के दूसरे देशों को निर्यात की शर्तों में उदारता लाई जाएगी।
ऐसे देशों की निगेटिव लिस्ट रखी जाएगी, जिन्हें निर्यात नहीं किया जा सकता।
उत्पादों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए independent body की व्यवस्था होगी।