यूक्रेन में जारी जंग के लगातार लंबी खिंचने के चलते इसका असर अब पूरू दुनिया पर दिखने लगा है..जंग भले ही रूस और यूकूरेन के बीच हो रही हो लेकिन इसके साइड इफैक्ट दुनिया भर में भूख की समस्या खड़ी कर रहे हैं और इस समस्या के समाधान के लिए दुनिया के सबसे रईस देशों का संगठन यानी G7 अब भारत की ओर देख रहा है..
दरअसल ये सम्स्या गेंहूं को लेकर पैदा हुई है..दुनियाभर में भोजन के लिए अलग अलग रूप में गेंहूं की दरकार होती है.. रूस और यूक्रेन मिलकर पूरी दुनिया में गेंहूं का लगभग एक चौथाई निर्यात करते हैं लेकिन यूक्रे्न के ओडिशा मारियूपोल जैसे बंदरगाहों में जारी जंग और ब्लैक सी में रूसी नेवी के घेरेबंदी के चलते जिसके बाद इंटरनेशनल मार्केट में गेंहूं के भाव 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं..गेंहूं के संकट के मद्देनजर भारत की मोदी सरकार ने भी अब गेंहूं के निर्यात पर पांबदी लगा दी है..भारत के इस फैसले से पूरी दुनिया में हलचल मच गई है..क्योंकि भारत गेंहूं के बडे़ निर्यातक देशों में शामिल है..भारत ने बीते साल सात मिलियन टन गेंहूं का निर्यात किया था..लेकिन अब मोदी सरकार ने गेंहूं के इस खतरे को भंपते हुए इसे निर्यात पर पांबंदी का फैसला लिया है जो दुनिया के सबसे ताकत वर देशों के संगठन g7 को रास नहीं आ रहा है..इस साल जून में जर्मनी में g7 देशों की मीटिंग होनी है जिसमें भारत के पीएम मोदी को भी बतौर मेहनाम इनवाइट किया गया है..और जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने भारतक के इस फैसलेल पर ऐतराज जताते हुए उम्मीद जताई है कि जून में G7 की मीटिंग के दौरान पीएम मोदी के साथ इस मसले को उटाया जाएगा..उनका कहना है कि अगर हर दगेश इस तरह से गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाएगा तो दुनिया में बड़े संकट खड़ा हो सकता है..
लेकिन भारत के लिए अपने इस फैसले को पलटना आसान बी नहीं होगा..भारत दुनिया में रूस के बाद गेंहूं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं और उसका हिस्सा करीब 13.53 फीसदी है.लेकिन जानकारी के मुताबिक इस साल भारत में हीट वेव के चलते गेंहू के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है..भारत ने राशनिंग के जरिए करोड़ों नागरिकों को हर महीने सस्ती कीमत पर या मुफ्त खाद्दान्न बी मुहैय.ा कराया जदाता है जिसमें गेंहूं का अहम स्थान है लिहाजा बारत सरकार इस मसले को लेकर कोई रिस्स लेने के मूड में नहीं दिख रही है..हांलांकि सरकार की ओर से गई जानकारकी के मुताबिक सररका के मंजूकरी से किसा स्पेशल अरेंजमेंट के तहत निर्यात किया जा सकता है लिहाजा g7 देशों तको उम्मीद कि वो जून में होने वाली मीटिंग में मोदी से इस मसले पर कोई कंसेशन ले सकते हैं..