भारतीय झंडा संहिता 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे को आम लोगों के अंतिम संस्कार में इस्तेमाल नहीं किया जाता. तिरंगे को केवल उन लोगों की अंत्येष्टि में इस्तेमाल किया जाता है जो राष्ट्रीय सम्मान के योग्य हों. जैसे कि सशस्त्र बलों या केन्द्रीय या राज्य अर्धसैनिक बलों के शहीदों के अंतिम संस्कार में तिरंगे का इस्तेमाल किया जाता है या फिर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री पद पर रहे राजनेता के निधन पर भी ऐसा किया जाता है.
तिरंगा के इस्तेमाल का तरीका क्या है?
भारतीय झंडा संहिता 2002 में इसे काफी विस्तार से बताया गया है कि तिरंगे को फहराते वक्त या अंत्येष्टि के दौरान सम्मान देते समय इसका कैसे इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति के मृत शरीर पर तिरंगा लपेटा जाता है तो इसके केसरिया रंग को सिर की तरफ और हरे रंग पैर की तरफ रखना होता है. अंतिम संस्कार के दौरान ना तो झंडे को जलाया जाता है और ना ही उसे दफ्न किया जाता है. इससे ठीक पहले पार्थिव शरीर से लिपटे झंडे को मृतक के घर वालों को सौंप दिया जाता है.
तिरंगे का इस्तेमाल किसी पोशाक या वर्दी में नहीं हो सकता. न ही तकियों, रुमालों या नेपकिन पर इसे छापा जा सकता है.