भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का भविष्य?
ऑटो एक्सपर्ट्स की मानें तो भारतीय लोगों में अब तक इलेक्ट्रिकल व्हीकल का क्रेज देखने को नहीं मिला है. भारतीय ग्राहकों को इस व्हीकल को अपनाने में अभी काफी लंबा समय लग सकता है. देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल आम आदमी की पसंद नहीं बन पाई हैं तो इसकी तीन बड़ी वजहें हैं. पहली इलेक्ट्रिक कारों का पारंपरिक कारों से महंगा होना. दूसरी सिंगल चार्ज में लंबी दूरी तय करने पर आने वाली दिक्कतें और तीसरी रास्तों में चार्जिंग की सुविधा ना होना. इलेक्ट्रिक व्हीकल ले तो लेंगे लेकिन दिक्कत है आप उसे चार्ज कहां करेंगे. इन्हीं कारणों के चलते इलेक्ट्रिक कारें अभी उस रफ़्तार से नहीं बिक रही हैं जितनी कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारें बिकती हैं. अभी भारत की सड़कों पर इन गाड़ियों का इम्तिहान होना बाक़ी है. हालांकि महिंद्रा, टाटा जैसी भारताय कंपनियां भी इलेक्ट्रिक कार बनाने की दिशा में बढ़ रही है.
भारत सरकार का क्या है रुख ?
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत का बाज़ार बहुत बड़ा है. गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक़, 2025 तक भारत में क़रीब 74 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां होंगी. Society of Indian Automobile Manufacturers SIAM के मुताबिक 2047 तक भारत में 100% इलेक्ट्रिक कारों का बाजार हो जाएगा. सरकार चाहती है कि भारत दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र बन जाए. इसको लेकर सरकार ने 2015 में FAME योजना लॉन्च की थी.