इसे भारत का सबसे बड़ा बैंक घोटाला कहा जा रहा है. घोटाला करने वाली कंपनी का नाम है एबीजी शिपयार्ड. गुजरात की इस कंपनी ने 28 बैंकों को हजारों करोड़ रूपए का चूना लगाया है. एक मोटे अनुमान के तौर पर कहा जा रहा है एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों ने 28 बैंकों के साथ करीब 22,800 करोड़ रुपये की ठगी की है. इस कंपनी ने जिन बैंकों को चूना लगाया है उनमें देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और सबसे बड़े प्राइवेट बैंक ICICI Bank का भी नाम भी शामिल है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको एबीजी शिपयार्ड और इस घोटाले की पूरी जानकारी देंगे. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ABGSL की स्थापना 15 मार्च 1985 को हुई थी. ABGSL एबीजी ग्रुप की प्रमुख कंपनी है. ये जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत का काम करती है. एबीजी ग्रुप भारतीय shipbuilding industry का एक बड़ा खिलाड़ी रहा है. इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में हैं. 2012 के बाद फर्म की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी.
स्टेट बैंक ने कहा है कि शिपयार्ड कंपनी को दोबारा खड़ा करने की कई कोशिशें की गईं. मार्च 2014 में उसे री-स्ट्रक्चर किया गया. कंसोर्टियम के सभी बैंकों ने इसमें भाग लिया लेकिन कंपनी को जीवित नहीं किया जा सका. इसका खाता जुलाई 2016 में एनपीए में चला गया. इस केस में फ्रॉड का जो भी मामला है वो फंड के डायवर्जन को लेकर है...बैंकों का भरोसा तोड़ने का है. एसबीआई ने आरोप लगाया है कि ऐसे संकेत हैं कि कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए पैसे से उससे संबिधित या जुड़ी हुई पार्टियों ने संपत्तियां खरीदी थी.
खबर है कि एक घोटाला पहचान समिति ने जून 2019 में एक बैठक में धोखाधड़ी की पहचान कर ली थी लेकिन एसबीआई ने सीबीआई में अपनी पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज की. बताया जा रहा है कि 2012 से 2017 के बीच इस कंपनी ने कथित रूप से बैंकों को कुल मिलाकर 22,842 करोड़ रुपए का चूना लगाया. फॉरेन्सिक ऑडिट की रिपोर्ट के मुताबिक- आरोपियों ने एक साथ मिलीभगत की है और फंड के डायवर्जन, दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात सहित अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया है. बैंकों से जिस उद्देश्य के लिए फंड लिया गया उसे उसमें नहीं लगाया गया.
जांच एजेंसी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए एबीजी शिपयार्ड कंपनी के पूर्व चेयरमैन और Managing Director ऋषि कमलेश अग्रवाल पर केस दर्ज किया है. इसके अलावा तत्कालीन executive director संथानम मुथास्वामी, director अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का भी केस में नाम शामिल किया गया है.
इस खुलासे ने नरेंद्र मोदी सरकार को आलोचनाओं के घेरे में खड़ा कर दिया है. कांग्रेस बीजेपी पर इस लूट में मदद करने का आरोप लगा रही है....ये देखते हुए कि ये धोखाधड़ी एक बीजेपी-शासित राज्य में हुई है. कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दावा किया कि इस धोखाधड़ी के बारे में सरकार को पांच साल पहले जानकारी मिल गई थी, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. देखना होगा कि इतने बड़े घोटाले में अभी कौन सी परतें खुलती हैं और क्या क्या सच्चाई सामने आती है.