लोकसभा सांसद और AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की कार पर हुए हमले को लेकर अमित शाह ने संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि ओवैसी को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी लेकिन उन्होंने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया. वहीं ओवैसी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी जान की कीमत राज्य में सीएए प्रदर्शन के दौरान मारे गए 22 लोगों से बढ़कर नहीं है. ओवैसी ने कहा कि लोग उनके साथ कोई बंदूक लेकर चलें ये उन्हें पसंद नहीं है. इस बयानबाजी के बाद एक बार फिर सुरक्षा श्रेणी का मामला चर्चा में आ गया है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको सुरक्षा की अलग अलग कैटेगरी की जानकारी देंगे. सुरक्षा श्रेणी कितने तरह की होती है.... किसे कौन सी कैटेगरी दी जाएगी ये कैसे तय होता है... कौन तय करता है.... इन सभी सवालों के जवाब आज हम इस वीडियो में आपको देंगे. आप बने रहिए हमारे साथ.
देशभर के वीआईपी की सुरक्षा के खतरे के स्तर को देखते हुए उन्हें अलग-अलग तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. इस सिक्योरिटी लेवल को लेकर एक कमिटी फैसला करती है. इस कमिटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, गृह सचिव और गृहमंत्री होते हैं. कई मौकों पर इसमें राज्य सरकार की सिफारिश भी काम करती हैं. राजनेताओं और बड़े अधिकारियों की सेफ्टी को देखते हुए 4 तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है जिनमें X, Y, Z और Z प्लस कैटेगरी होती है.
Z+ सबसे बड़ा और सख्त सिक्योरिटी लेवल होता है. यह ज्यादातर केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री, न्यायाधीश, मशहूर राजनेता और बड़े ब्यूरोक्रेट्स को दी जाती है. प्रधानमंत्री जैसे देश के सबसे बड़े पदों पर बैठे वीआईपी को Z+ के साथ स्पेशल एसपीजी कवर भी दिया जाता है. गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि फिलहाल 40 लोगों को जेड प्लस सुरक्षा दी जा रही है. जानकारी के मुताबिक इसमें 58 कमांडो व्यक्ति की सुरक्षा में तैनात होते हैं. Z+ कैटेगरी वाले सुरक्षा गार्ड्स अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. काफिले में जैमर गाड़ी भी होती है जो मोबाइल सिग्नल जाम करने का काम करती है. इस कैटेगरी में सुरक्षा घेरा 24 घंटे तैनात रहता है. यह सुरक्षा उच्च जोखिम वाले वीवीआईपी लोगों को दी जाती है.
बात करते हैं Z कैटेगरी सिक्योरिटी लेवल की... इसमें वीआईपी के सुरक्षा घेरे में 22 पुलिसकर्मी मौजूद होते हैं. इसके साथ ही दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ के जरिए एक्स्ट्रा सिक्योरिटी दी जाती है. इसमें वीआईपी के साथ एक एस्कॉर्ट कार भी चलती है.
इसके बाद Y कैटेगरी में 11 पुलिसकर्मियों के साथ 2 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर का सुरक्षा घेरा होता है. देश में सबसे उच्च जोखिम वाले वीआईपी लोगों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है.
वहीं X कैटेगरी सबसे बेसिक सिक्योरिटी लेवल है. X कैटेगरी के सिक्योरिटी लेवल में दो पुलिस कर्मियों के साथ एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर का सुरक्षा घेरा उपलब्ध करवाया जाता है. प्राथमिक स्तर पर खतरे को देखते हुए एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है.
इसके इलावा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि SPG देश की सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा फोर्स है, जो बहुत सीमित लोगों को दी जाती है. फिलहाल एसपीजी की सुरक्षा PM नरेंद्र मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी को मिली है. SPG पर सालाना 330 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. बता दें एसपीजी का गठन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में हुआ था.