ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र समेत सभी राज्य सरकारें अलर्ट मोड पर आ गईं हैं. बाकी वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक होने के चलते ओमिक्रॉन को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने एक ऐसी नई आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को मंजूरी दे दी है जो कोरोना के इस नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के संक्रमण का पता लगा सकता है. इस स्वदेशी टेस्ट किट का नाम है ओमिश्योर. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको ओमिश्योर के बारे में सब कुछ बताएंगे. ओमिश्योर क्या है और ये कैसे कोरोना के वेरिएंट का पता लगा सकती है. ऐसे तमाम सवाल के लिए जवाब के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ.
क्या है ओमिश्योर ?
ICMR ने ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने के लिए खास किट ओमीश्योर के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. ओमीश्योर किट का निर्माण टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स या TMD ने किया है. इसे ओमिक्रॉन का पता लगाने वाली दुनिया की पहली किट बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस टेस्ट के जरिए ओमिक्रॉन को अलग करने में मदद मिल सकती है. आरटी-पीसीआर टेस्ट किट की ही तरह ओमिश्योर के लिए भी नाक और मुंह से सैंपल लिया जाता है. यह नई किट लगभग ढाई घंटे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का परीक्षण करेगी.
ICMR के आकलन के मुताबिक यह किट 100 फीसद सटीकता दिखा रही है. कंपनी की ओर से एक बयान में बताया दया कि लैब में परीक्षण के लिए कीमत 250 रुपये तय की गई है. कंपनी के मुताबिक यह किट 12 जनवरी से बाजार में उपलब्ध होगी. ये किट भारत की किसी भी पीसीआर मशीन में काम कर सकती है.
ओडिशा स्टेट मेडिकल कार्पोरेशन लिमिटेड ने 5 लाख ओमिश्योर आरटी-पीसीआर किट का आर्डर दे दिया है. ऐसा करने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य बन गया है जिसने कोविड-19 पाजिटिव नमूनों में ओमिक्रोन का पता लगाने के लिए किट का आर्डर दिया है. यह किट मिल जाने के बाद राज्य में लोगों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजना पड़ेगा. बता दें इससे पहले देश में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए जिस किट का उपयोग किया जा रहा है, उसे अमेरिका स्थित वैज्ञानिक उपकरण कंपनी थर्मो फिशर द्वारा विकसित किया गया है. यह ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए S Gene Target Failure यानि SGTF रणनीति का इस्तेमाल करता है.
आरटी-पीसीआर टेस्ट को कोरोना के लिए सबसे बेहतर माना गया है. ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के दौरान भी कुछ मामलों में पाया गया कि आरटी-पीसीआर जांच काम कर सकती है. अगर यह पॉजिटिव बताती है तो इससे कम से कम यह तो पता लग ही सकता है कि मरीज को कोविड हुआ है. इस टेस्ट में स्पाइक प्रोटीन के उस जीन का पता लगाया जाता है जो मानव कोशिका पर हमला करता है. फिर जब यह तय हो चुका है कि यह जांच सही है तो ऐसे में एक स्पाइक जीन को लक्षित किया जाता है. भले ही म्यूटेशन की वजह से कोई एक जीन बदल गया हो, लेकिन जांच में दूसरा पकड़ में आ जाता है.
उम्मीद है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच इस किट से टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ेगी. साथ ही नए वेरिएंट के खिलाफ जरूरी कदम उठाने में भी ये मददगार साबित हो सकता है.