कर्नाटक में लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर बवाल पसरा है. लड़कियां हिजाब छोड़ने को तैयार नहीं है. लोग कह रहे हैं कि कॉलेजों में धर्म से जुड़ी वेशभूषा का क्या काम. सरकार कह रही है कि कॉलेजों में ड्रेस कोड का पालन हो और कोर्ट में हिजाब पहनने और न पहनने को लेकर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं. हिजाब पर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. तो आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको हिजाब विवाद के बारे में सब कुछ बताएंगे. ये है विवाद क्या... इसकी शुरूआत कैसे हुई और इस पर प्रशासन का क्या रुख है. इन तमाम सवालों के जवाब के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ.
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत लगभग एक महीने पहले उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से हुई. 6 मुस्लिम छात्राओं को क्लास में सिर्फ इसलिए नहीं बैठने दिया गया क्योंकि वो हिजाब पहनकर आईं थी. इस पर इन छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनका कहना है कि हिजाब पहनना उनकी धार्मिक आजादी का मसला है और संविधान से मिला अधिकार भी. विरोध प्रदर्शन उडुपी और कर्नाटक के अन्य जिलों के कई कॉलेजों में भी फैल गया. छात्राओं ने मांग की कि जब तक उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती, वो विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगी.
इस पर कुछ छात्र भगवा गमछा पहनकर कॉलेज पहुंचे. उनका कहना था कि जब तक हिजाब पहनकर छात्राओं को आने की अनुमिति रहेगी, तब तक वो भी भगवा गमछा पहनकर आएंगे. प्रदर्शन कर रही छात्राओं में से एक ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और राहत मांगी है. बता दें इस तरह के मामले पहले भी कोर्ट तक पहुंच चुके हैं.
विवाद के चलते धर्म की स्वतंत्रता पर कई कानूनी सवाल खड़े हो गए हैं. बता दें संविधान में Article 25(1) "धर्म को मानने, प्रैक्टिस करने और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र रूप से अधिकार" की गारंटी देता है. राज्य ये सुनिश्चित करेगा कि इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने में कोई बाधा ना हो. हालांकि, सभी मौलिक अधिकारों की तरह, राज्य सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता, स्वास्थ्य और अन्य राज्य हितों के आधार पर अधिकार को प्रतिबंधित भी कर सकता है.
इस मसले पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि कक्षा में हिजाब पहनकर बैठना सरासर अनुशासनहीनता है...जो लोग ड्रेस कोड का पालन नहीं करना चाहते, वो दूसरा ऑप्शन देख लें. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी मुस्लिम छात्राओं को पढ़ाई से वंचित कर रही है. इस पर जवाब देते हुए बीसी नागेश ने कहा कि ड्रेस कोड का नियम कांग्रेस सरकार लेकर आई थी और ये कई सालों से लागू है.
वहीं राज्य सरकार ने शनिवार को कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया. इसके मुताबिक, सभी छात्र-छात्राओं को एक समान कपड़े पहनकर ही आना होगा. आदेश में ये भी कहा गया है कि अगर किसी स्कूल या कॉलेज में कोई ड्रेस कोड नहीं है तो स्टूडेंट्स ऐसे कपड़े पहनकर नहीं आ सकते जिससे सामुदायिक सौहार्द्र, समानता और शांति व्यवस्था को खतरा हो. बताया जा रहा है कि इस विवाद से पहले छात्राएं हिजाब उतारकर क्लास में जाती थीं और फिर कॉलेज परिसर में दोबारा पहन लेती थी. कक्षाओं में भी हिजाब पहनने के अधिकार की मांग करने वाली छात्राओं के विरोध के बाद कई कॉलेज परिषदों ने कक्षाओं में इसे प्रतिबंधित करने पर अपना रुख सख्त कर लिया है.जबकि हाईकोर्ट में इस मसले पर सुनवाई जारी है.
सोमवार को कुंडापुर के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज परिसर में एंट्री करने की अनुमति दे दी गई लेकिन इन छात्राओं को अलग-अलग क्लासेज में बैठने को कहा गया. कॉलेजों में हिजाब के जवाब में गमछा पहनकर आ वाले छात्रों को भी समझाया गया है, जिसके बाद वो गमछा उतारकर क्लास करने गए. फिलहाल कर्नाटक में हिजाब पर हंगामा थमता नहीं दिख रहा है.