हम सभी सुनते आए हैं कि पुराने जमाने में भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था. फिर विदेशी आक्रमणकारी आए भारत के सोने को लूटकर ले गए. उसके बाद अंग्रेज आए भारत को गुलाम बनाया और सोने को लूटकर ले गए. और इस तरह भारत सोने की चिड़िया नहीं रह गया. लेकिन एक बात है भारत में सोने का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको भारत में सोने के इतिहास के बारे में सब कुछ बताएंगे. जानेंगे कि भारत को सोने की चिड़िया का नाम किस तरह मिला और यहां इतना सोना कैसे आया? आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
पुराने जमाने में भारत में काफी धन संपत्ति मौजूद थी. मुगलों का शासन शुरू करने से पहले भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी ज्यादा थी. माना जाता है कि भारत की ये संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों की वजह भी बनी.
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी मयूर सिंहासन. कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जितना धन लगा था उतने में दो ताज महल बनाए जा सकते थे. इतिहाकारों के मुताबिक इसे बनाने में करीब एक हजार किलो सोने और बेशकीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. फिर साल 1739 में फारसी शासक नादिर शाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था. आज मयूर सिंहासन की अनुमानित कीमत 450 करोड़ रुपये है.
भारत के अनमोल रत्नों में से एक है कोहिनूर हीरा. इसकी मौजूदा कीमत 1 अरब डॉलर के लगभग आंकी जाती है. ये हीरा गोलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका पहला हकदार माना जाता है. कई लोगों के हाथों से गुजरते हुए आज ये ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा हुआ है.
महमूद गजनी ने 1001 में पेशावर के युद्ध में राजा जयपाल को हराकर किले से 4 लाख सोने के सिक्के लूटे. उस वक्त एक सिक्के का वजन 120 ग्राम था. उसने राजा जयपाल को छोड़ने के लिए भी 4.5 लाख सोने के सिक्के लिए थे. सन 1025 में महमूद ने गुजरात में बने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया और 2 मिलियन दिनारों की लूट की जिसकी अनुमानित कीमत आज की तारीख में लगभग 45 करोड़ रुपये होती है.
1739 में पर्सिया के नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला किया था और सोना लूटा था. कहा जाता है कि उन्होंने दिल्ली से इतना सोना लूट लिया कि उसके बाद 3 साल तक पर्सिया में किसी ने टैक्स नहीं दिया. मुगल काल में शाहजहां ने एक सोने का तख्त बनाया था जिसमें 1 लाख तोला सोना लगा था. भारत में इतना सोना था कि पहले शाहजहां ताजमहल को सोने का ही बनवाना चाहता था.
समय के साथ-साथ भारत का स्थान दुनिया में कम होता चला गया और ये सवाल पीछे छोड़ गया की भारत को सोने की चिड़ियां क्यों कहा जाता था. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कुछ समय पहले एक आकलन में कहा था कि भारत में अभी भी 22 हजार टन सोना लोगों के पास है, जिसमें लगभग 3 से 4 हजार टन सोना भारत के मंदिरों में है. बीते समय को छोड़कर मौजूदा दौर में देखा जाये तो भारत पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है. उम्मीद है इस देश को फिर से सोने की चिड़िया के नाम से बुलाया जाएगा.