फ़िल्मी दुनिया में एक बार फिर ड्रग्स की खूब चर्चा है. 2 अक्टूबर की रात narcotics control bureau ने मुंबई में एक क्रूज़ पर छापामारी के बाद बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया. आर्यन पर भी ड्रग्स सेवन का आरोप है. आर्यन के अलावा इस मामले में 7 और लोगों के नाम सामने आए हैं. छापेमारी के दौरान चरस, कोकीन, एमडी, और नशे की गोलियां बरामद हुई हैं. भारत में ड्रग्स को लेकर क्या कनून हैं? अगर किसी के पास से drugs पकड़े जाते हैं तो इसकी क्या सजा है... कितनी मात्रा में ड्रग्स रखना कानूनन अपराध है? किन कानूनों के तहत आरोपियों पर कार्रवाई होती है?
भारत में ड्रग्स पर क्या कानून है ?
भारत में drugs से जुड़े मामलों में Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 या NDPS एक्ट के कानूनों के तहत कार्रवाई होती है. NDPS एक्ट अवैध नशीले पदार्थ के उत्पादन, इसकी खेती, इसे रखने, बेचने, खरीदने, बिजनेस करने, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट या इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा है. हालांकि कानून के तहत कुछ medical और scientific मामलों में इस तरह के ड्रग्स के इस्तेमाल पर छूट है. इसी कानून के तहत investigative agencies को ड्रग्स की खोज, जब्ती और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने का अधिकार मिलता है. इसके तहत दोषी पाए गए लोगों को जुर्माने के अलावा जेल भेजने तक का प्रावधान है.
इसके तहत 2 तरह के नशीले पदार्थ आते हैं- नारकोटिक और साइकोट्रोपिक
नारकोटिक और साइकोट्रोपिक ड्रग्स क्या होते हैं?
NDPS एक्ट के तहत केंद्र सरकार प्रतिबंधित दवाओं की एक लिस्ट जारी करती है, जो समय-समय पर राज्य सरकारों की सलाह पर अपडेट भी होती है. नारकोटिक ड्रग्स से मतलब है- नींद लाने वाले ड्रग्स, जो नैचुरल होते हैं या प्राकृतिक चीजों से बनते हैं. जैसे चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकेन, मॉर्फीन वगैरह इसके तहत आते हैं.
साइकोट्रोपिक यानी दिमाग पर असर डालने वाली ड्रग्स, जो केमिकल बेस्ड होती है या फिर जिन्हें दो-तीन तरह के केमिकल मिलाकर तैयार किया जाता है. जैसे- एलएसडी, एमएमडीए, अल्प्राजोलम वगैरह. इनमें से कुछ दवाएं जीवनरक्षक भी हैं, लेकिन बिना मेडिकल सलाह के ज्यादा मात्रा में लेने से इसका नशा खतरनाक हो सकता है. एनसीबी की छापेमारी में दोनों तरह के ड्रग्स बरामद हुए हैं.
कितनी सजा मिलेगी ?
किसी व्यक्ति को कितनी सजा मिलेगी, ये उसके पास से मिली ड्रग्स की quantity पर निर्भर होता है. इसे तीन हिस्से में बांटा गया है- small quantity यानि कम मात्रा, commercial quantity यानि व्यापारिक मात्रा और Intermediate quantity.
कम मात्रा मिलने पर व्यक्ति पर 10 हजार रुपए का जुर्माना या छह महीने तक की जेल या दोनों हो सकती हैं. अगर ड्रग्स किसी और तरह का विकसित पदार्थ है, तो सजा एक साल तक बढ़ाई जा सकती है. इस तरह के मामलों में दोषी को काउंसलिंग का ऑप्शन भी मिलता है, जिससे वो जेल जाने से बच सकता है. अगर ड्रग्स व्यापारिक मात्रा में पाए जाते हैं, तो 20 साल तक की जेल और दो लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान है. चरस या हशीश के लिए कम मात्रा 100 ग्राम तक है. उससे ज्यादा Intermediate quantity में आएगा. वहीं अगर ये 1 किलो से ज्यादा की मात्रा में बरामद होता है तो व्यापारिक मात्रा की केटेगरी में आएगा. इसी तरह अलग अलग ड्रग के लिए ये मात्रा भी अलग अलग होगी. बता दें कुछ गंभीर मामलों में अदालतें self conscience से ड्रग्स कारोबार से जुड़े दोषी को मौत की सजा तक दे सकती है.
कौन से ड्रग हैं प्रतिबंधित ?
नारकोटिक्स ड्रग्स में चरस और गांजा के अलावा हशीश, हेरोईन और अफीम के अलावा कुछ और सिंथेटिक ड्रग्स भी शामिल हैं जो भारत में पूरी तरह illegal हैं. कोकीन से लेकर गांजे तक ड्रग्स की लिस्ट में लगभग 250 से ज्यादा पदार्थ NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं. इन्हें या इनके किसी भी तरह के Mixture को अगर आप अपने पास रखते हैं, इस्तेमाल करते हैं या व्यापार करते हैं, तो आप कानून तोड़ रहे हैं और ये अपराध माना जाएगा.
क्या है NCB ?
NCB भारत सरकार की home ministry के तहत आने वाली Indian Federal Law Enforcement और खुफिया एजेंसी है. इस एजेंसी का काम है narcotics की तस्करी और अवैध पदार्थों के इस्तेमाल से निपटना. NCB 1986 में स्थापित किया गया था. NCB देश के बॉर्डर की निगरानी भी करता है जहां विदेशी तस्करों के साथ तस्करी की गतिविधियां होती हैं.