कोरोनावायरस के एक नए खतरनाक वैरिएंट ने भारत में दस्तक दे दी है. ये वैरिएंट है AY.4.2. बताया जा रहा है कि ये डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक है. इसकी वजह से यूरोप के कई देशों में दहशत का माहौल है. इस वीडियो में हम आपको कोरोना के इस वैरिएंट से जुड़ी हर जरूरी जानकारी देंगे. ये कितना खतरनाक है.. इस वैरिएंट की शुरूआत कब और कहां हुई... भारत में किस तरह इसकी पहचान हुई...
क्या है AY.4.2 वैरिएंट?
AY.4.2 डेल्टा वैरिएंट के ही परिवार से निकला है, जिसे अब तक लाखों लोगों को प्रभावित करने वाला सबसे खतरनाक रूप माना जाता रहा है. ये डेल्टा वैरिएंट का सब-लीनिएज है जिसके चलते इसे डेल्टा प्लस वैरिएंट भी कहा जा रहा है. इस वैरिएंट को मूल डेल्टा वैरिएंट से 10 से 15% ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है. इस वैरिएंट को लेकर फिलहाल दुनिया भर में रिसर्च चल रही है. इसके नेचर को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है, लेकिन कई एक्सपर्ट ने इस वैरिएंट को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है. AY-4 वैरिएंट की ट्रांसमिशन कैपेसिटी कितनी है, इसको लेकर भी दुनियाभर में रिसर्च चल रही है. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका इन्फेक्टिविटी रेट ज्यादा है. ऐसे में लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.
भारत में कहां मिला वैरिएंट ?
इस नए वैरिएंट की जानकारी भारत में सबसे पहले अप्रैल में महाराष्ट्र में मिली थी. अब इंदौर में इससे संक्रमित मरीजों के मामले सामने आ रहे हैं. सात मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में ये वैरिएंट सामने आया. खबर है कि सभी लोग पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
कब और कहां हुई शुरूआत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक ये पहली बार इस साल जुलाई में यूके में पाया गया था. हाल के दिनों में वहां सब वेरिएंट से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. एक अनुमान के मुताबिक, इस नए सब-टाइप की यूके के नए मामलों में 8-9% की हिस्सेदारी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे रोका नहीं गया, तो ब्रिटेन में जल्द ही चौथी लहर आ सकती है. इसके अलावा अमेरिका, रूस और इज़राइल में भी सबवेरिएंट के मामले रिपोर्ट किए गए हैं. इस वजह से रूस के मास्को में अगले हफ्ते से लॉकडाउन शुरू होगा.
कितना खतरनाक है नया वैरिएंट ?
फिलहाल विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना कम है. अगर ज्यादा मामले सामने आते हैं तो WHO की ओर से इस वैरिएंट वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. कहा जा रहा है कि कोरोना यह महामारी की रफ्तार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा. ये नया वैरिएंट अल्फा और डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले कम खतरनाक है. कहा जा रहा है कि ये महामारी की रफ्तार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा.