पिछले कुछ सालों के अंदर दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वीकल का क्रेज जबरदस्त तेजी से बढ़ा है. लेकिन, भारत की सड़कों पर अब भी इलेक्ट्रिक वीकल स्पीड नहीं पकड़ पाए है. वजह है, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. लेकिन अब जल्द ही इस कमी के दूर होने की उम्मीद है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में भारत के पहले इलेक्ट्रिक हाईवे कि घोषणा की. आज हम आपको इस हाईवे से जुड़ी सभी जरूरी बातें बताएंगे. इलेक्ट्रिक हाईवे क्या होता है... भारत में इसकी शुरूआत किस तरह और कब होगी... ये कैसे काम करता है... और इससे क्या क्या फायदे होंगे?
कैसा होगा भारत का पहला E-Highway ?
भारत में ये पहला इलेक्ट्रिक हाईवे दिल्ली से जयपुर तक बनाया जाएगा. ये हाईवे 200 किलोमीटर लंबा होगा और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ ही एक नई लेन पर बनाया जाएगा. ये लेन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होगी और इस पर केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे. इस हाईवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर चार्जिंग पॉइंट भी होंगे. कहा जा रहा है कि इस पर गाड़ियां 120 किलोमीटर की रफ्तार से चलेंगी. दावा है कि इलेक्ट्रिक हाईवे शुरू होने के बाद यात्रियों के लिए सफर 4-5 घंटे तक कम हो जाएगा. हाइवे के निर्माण के लिए मंत्रालय स्वीडन कंपनी से बातचीत कर रहा है. इसके साथ ही बताया जा रहा है कि 2022 तक इसे बनाने की शुरूआत की जाएगी.
क्या है इलेक्ट्रिक हाईवे ?
सिंपल भाषा में ऐसे समझिए. आपने ट्रेन के ऊपर इलेक्ट्रिक वायर देखा होगा. ट्रेन का इंजन एक आर्म के ज़रिए इस वायर से कनेक्टेड होता है. इसी से पूरी ट्रेन को इलेक्ट्रिसिटी मिलती है. बस बिल्कुल इसी तरह इलेक्ट्रिक हाईवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाये जाएंगे. हाईवे पर चलने वाली इन्ही गाड़ियों को इन वायर्स से इलेक्ट्रिसिटी मिलेगी.
कैसे काम करता है इलेक्ट्रिक हाईवे ?
अलग-अलग देशों में इलेक्ट्रिक -हाईवे बनाने के लिए अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. माना जा रहा है कि भारत में स्वीडन वाली टेक्नेलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. स्वीडन में इस्तेमाल होता है पेंटोग्राफ मॉडल. इसमें सड़क पर एक वायर लगाया जाता है जिससे बिजली फ्लो होती है. ये बिजली इंजन को डायरेक्ट power देती है या फिर वाहन में लगी बैटरी को चार्ज करती है.
इससे क्या क्या फायदे होंगे?
इलेक्ट्रिक -हाईवे के बनने से पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. महंगे पेट्रोल-डीजल की वजह से ट्रांसपोर्टशन कॉस्ट भी काफी बढ़ी है. इलेक्ट्रिक -हाईवे बन जाने से ये कास्ट भी कम होगी. माना जा रहा है कि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आने से चीजें के दाम भी कम हो सकते हैं. नितिन गडकरी के मुताबिक इलेक्ट्रिक-हाईवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में 70% की कमी आएगी. इसके अलावा हाईवे पूरी तरह से इको फ्रेंडली होंगे यानि इसके इस्तेमाल से पर्यावरण को कम नुकसान होगा. बिजली से गाड़िया चलेंगी तो यात्री प्रदूषण फ्री यात्रा का लुत्फ ले सकेंगे और कम समय में अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंच पाएंगे.
दुनिया में कहां-कहां हैं E-Highway ?
स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों में पहले से ही इस तरह के हाईवे का इस्तेमाल किया जाता है. बता दें स्वीडन इलेक्ट्रिक-हाईवे शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है. 2016 में स्वीडन ने ई-हाइवे का ट्रायल शुरू किया था और 2018 में पहला ई-हाईवे शुरू किया. वहीं जर्मनी ने 2019 में इलेक्ट्रिक हाईवे की शुरुआत की. UK और USA में भी ई-हाईवे पर काम चल रहा है.